श्रीराम जी का भक्ति के प्रति दृष्टिकोण
यह बात उस समय की है जब श्री राम जी चौदह बर्ष के वनवास में थे ,तो उन के नंगे पैर पर काटे लगते थे ।और वो काटे उनके पैर में धस जाया करते थे ,ये देखकर सीता मां और लक्ष्मण जी को दुख होता था, तो वो राम जी से निवेदन करते हैं ,आपके पैर में जो ये काटे धस जाते हैं ,हम इन को निकाल क्यों नहीं देते , इन से आप को बड़ी पीड़ा होती होगी, तब राम जी ने जवाब दिया जो मेरी शरण में एक बार आ जाता है , में उसे खुद से नही निकलता चाहे मुझे कितनी भी पीड़ा सहनी पड़े। यह कहानी हमें भगवान से हमेशा जुड़े रहने को कह रही है और भगवान के चरणों में हमेशा समर्पित या वंदना करनी चाहिए
इसे हमे यही सिख मिलाती है कि हमसे कितना भी गलती हो जाए हमें भगवान के चरणों से जुड़े रहना चाहिए
जय श्री राम
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इसे हमे यही सिख मिलाती है कि हमसे कितना भी गलती हो जाए हमें भगवान के चरणों से जुड़े रहना चाहिए
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