...

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मैं एक आदमी हूँ...
मैं तिनका भी हूँ और एक वृक्ष भी हूँ
मैं एक कृति भी हूँ एक कर्ता भी हूँ

मैं साँसे देता हूँ तो साँसे भरता भी हूँ
ये जीवन इक समर हैं,मैं युद्धक्षेत्र भी हूँ

कभी लड़ता भी हूँ तो कभी डरता भी हूँ
चान्द सी शीतलता भी हूँ ,तो सूरज सा जलता भी हूँ

मिट्टी से बना हूँ ,मिट्टी का कर्जदार भी हूँ
एक पिता की रूप हूँ ,तो एक सन्तान भी हूँ

बहुत सारे रूप हैं मेरे,मैं बहुरूप भी हूँ
आदम का रूप हूँ तो एक आदमी भी हूँ

हजारों जिम्मेदारी हैं मुझ पर,जिम्मेदार भी हूँ
एक इन्सान हूँ ,समाज का पहरेदार भी हूँ
© M.S.Suthar