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चाय की टपरी में आज काफी गहमा गहमी है। बनवारी लाल हाथ में अख़बार लिए पढ़ रहे और हर एक ख़बर पर चाय की चुस्कियों के साथ चर्चा हो रही। जैसे चुनाव के दल वैसे ही चाय की दुकान भी दो हिस्सों में विभाजित हो गई थी।
बनवारी लाल:सरकार दोबारा सत्ता में आ रही है। आखिर हमारे जात वाले सब एकजुट हैं।
मास्टर मोहन: अरे बनवारी जी देश को जनता की भलाई करने वाली सरकार की जरुरत है ना की विदेशी प्रचार करने वाली। क्या कहते हो मिश्रा जी।
मिश्रा जी:क्या कहे मास्टरजी हमारी तो नोकरी ही खा गई ये सरकार।जो नोकरी दे दे उसे मत गेर आयेंगे।
चाय वाला (चाय को उबाल देते हुए):दूध सस्ता करने का वायदा करके गए है विपक्ष वाले ।

(सता पक्ष और विपक्ष की रैली आमने सामने आने के कारण रास्ते को लेकर कार्यकर्ताओं के बीच बहस से शोरगुल और भीड़ लग गई)

चाय के उबाल के साथ साथ टपरी की गर्मागर्मी भी शोरगुल में दब गई।
© ojasviladha