![...](https://api.writco.in/assets/images/post/user/story/970200914085848396.webp)
17 views
वाह रे secularism!!
आज का दिन भी #black day के नाम से जाना चाहिये।
आज ही के दिन 14 सितम्बर 1989 को कश्मीर घाटी में कश्मीरी पंडितों के दुर्दशा की शुरुआत हुई थी। कश्मीरी पंडित और वकील टीकालाल तप्लु की इस दिन नृशंस तरीके से हत्या कर दी गई थी।
तत्पश्चात नील कांत गंजू जो उस समय जस्टिस के तौर पर कार्यरत थे उनकी भी हत्या की गई। उसके बाद तो 300 से ज़्यादा निर्दोष कश्मीरी पंडितों की (महिलाएं -पुरूष सब) हत्या की गई। एक कश्मीरी पंडित महिला के साथ आंतकवादियों ने सामूहिक बलात्कार किया और फिर उसकी हत्या कर दी गई, लाखों कश्मीरी पंडितों का विस्थापन हुआ ।।
यह भयावह घटना जब घटित हो रही थी तब उस समय की सरकार से किसी ने भी सामने आकर यह कहने की चेष्टा नही की , कि यह गलत है और हाँ तब सारे संविधान के ज्ञानियों को सांप सूंघ गया था ।।
यहाँ तो कश्मीरी पंडित निर्दोष थे मगर अब जब दिल्ली दंगों में #उमर खालिद को दोषी पाया जा रहा है और उस पर uapa लगाकर कार्यवाही की जा रही है तो सारे संविधान के ज्ञानी जाग चुके हैं।
देश में अल्पसंख्यकों की बात बहुत होती है उनके अधिकार, उनकी स्वतंत्रता को लेकर हमेशा से बहस चलती आई है और आगे भी चलेगी क्योंकि यह राजनीतिक मुद्दा जो है । परंतु अफसोस यह है कि आज तक किसी ने भी कश्मीरी पंडितों के खिलाफ किये गये अन्याय के खिलाफ आज तक आवाज़ नही उठाया और न उनके बारे में जानने की कोशिश की।।
खैर 🙏🙏Secularism ज़िंदाबाद।। इसका ठेका सिर्फ हमने ही लिया है।।
© Ashish pandey
आज ही के दिन 14 सितम्बर 1989 को कश्मीर घाटी में कश्मीरी पंडितों के दुर्दशा की शुरुआत हुई थी। कश्मीरी पंडित और वकील टीकालाल तप्लु की इस दिन नृशंस तरीके से हत्या कर दी गई थी।
तत्पश्चात नील कांत गंजू जो उस समय जस्टिस के तौर पर कार्यरत थे उनकी भी हत्या की गई। उसके बाद तो 300 से ज़्यादा निर्दोष कश्मीरी पंडितों की (महिलाएं -पुरूष सब) हत्या की गई। एक कश्मीरी पंडित महिला के साथ आंतकवादियों ने सामूहिक बलात्कार किया और फिर उसकी हत्या कर दी गई, लाखों कश्मीरी पंडितों का विस्थापन हुआ ।।
यह भयावह घटना जब घटित हो रही थी तब उस समय की सरकार से किसी ने भी सामने आकर यह कहने की चेष्टा नही की , कि यह गलत है और हाँ तब सारे संविधान के ज्ञानियों को सांप सूंघ गया था ।।
यहाँ तो कश्मीरी पंडित निर्दोष थे मगर अब जब दिल्ली दंगों में #उमर खालिद को दोषी पाया जा रहा है और उस पर uapa लगाकर कार्यवाही की जा रही है तो सारे संविधान के ज्ञानी जाग चुके हैं।
देश में अल्पसंख्यकों की बात बहुत होती है उनके अधिकार, उनकी स्वतंत्रता को लेकर हमेशा से बहस चलती आई है और आगे भी चलेगी क्योंकि यह राजनीतिक मुद्दा जो है । परंतु अफसोस यह है कि आज तक किसी ने भी कश्मीरी पंडितों के खिलाफ किये गये अन्याय के खिलाफ आज तक आवाज़ नही उठाया और न उनके बारे में जानने की कोशिश की।।
खैर 🙏🙏Secularism ज़िंदाबाद।। इसका ठेका सिर्फ हमने ही लिया है।।
© Ashish pandey
Related Stories
13 Likes
1
Comments
13 Likes
1
Comments