...

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प्रेमी.. चकोर
करता है अनल भक्षण प्रतिक्षण
निज देह भस्म कर जाने को..
वो एक परिंदा प्रेम विवश
अपने प्रियतम तक जाने को
चुगत फिरत अंगार
अरे वो प्रेमी विरह मिटाने को..
यही समर्पण भाव
प्रेम का सृजल नयन कर जाने को..

वो प्रेमी चंद्र चकोर सदा,रजनी सारी देखत रहता..
कब होय मिलन मेरे प्रियतम, इस आस में तिल तिल है जलता..

गुजरे एक पथिक ने पूछ...