ब्रह्मचर्य - १
ब्रह्मचर्य अर्थात जो सदैव ब्रह्म(आत्मा) में चरता(निवास करता)है।जो क्रोध, मान, माया, लोभ, राग, द्वेष, ईर्ष्या, अदेखाई रूपी आदि कषायो को वश में कर लेता है।
ब्रह्मचर्य भिन्न भिन्न स्तर के होते...
ब्रह्मचर्य भिन्न भिन्न स्तर के होते...