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pure soul

रोज़ की तरह मै अपने काम पर जा रही थी,सह सा
मैंने देखा एक गरीब लड़की यही कोई उम्र रही होगी 4-5 साल ,रद्दी से कागज बिन रही थी ,मैंने पास जाकर उससे पूछा ये क्या कर कर रही ,उसने कोई जवाब नहीं दिया और वापस अपने काम पर लग गयी,फिर मैंने उसका हाथ पकड़ा और खींच ते हुए पास के बेन्च् पर बैठने को कहा ,
(मेरी एक बुरी आदत थी जब तक मै जवाब नहीं पा जाती मै शांत नहीं बैठती)
उसका जवाब सुनकर मै हैरान हो गई,उसका बाप उससे ये सब काम करवा ता,और दिन भर नशे मै धुत रहता,और माँ का पता नहीं,शायद माँ क्या होती है उसे ये भी नहीं पता क्यूँकि उसके पैदा होते ही उसकी माँ नहीं रही
खैर मैंने कहा ये सब काम छोड़ दो ,मैंने उसकी उसकी पसंद जाननी चाही,वो पढ़ना चाहती थी ऐसा उसने कहा ,चहक ने कहा (मैंने उसे नया नाम दिया 'चहक') मैं सम्वेदना सक्सेना मल्टी नेशनल कंपनी मै कार्ययत् थी,मैंने उसका पढ़ाई का जिम्मा अपने ऊपर लिया ।
ये घटना मेरी बचपन की घटना से प्रेरित है ,तब इसी तरह एक महिला जज ने मुझे गोद लेकर मुझे इस लायक बनाया की आज मै (संवेदना सक्सेना)
मेरे पास शब्द नहीं है,मैंने कोई नेक काम नहीं किया ये तो उनका हक़ है,आखिर वो भी भगवान के प्यारे बच्चे हैं ।

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