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सच और झूठ
सच और झूठ

दुख और सुख दो बहने थी जिनकी शादी वक्त से हो गई (वक्त सुख और दुख के पति का नाम)। विवाह के कुछ महीनों बाद दोनों बहने एक साथ गर्भवती हो गई है और उन दोनों बहनों ने अपने-अपने गर्भ से एक - एक पुत्र रत्न को जन्म दिया। वक्त बहुत ही खुश था अपनी दोनों पत्नियों से पुत्र रत्न की प्राप्ति पाकर। कुछ दिनों बाद उन दोनों भाइयों का नामकरण होना था। वह दिन आ गया था, जिस दिन उन दोनों भाइयों का नामकरण होना था। सुख के पुत्र का नाम था झूठ क्योंकि वह ज्यादातर झूठ बोलता था और तामसी था और दुख के पुत्र का नाम सच था क्योंकि वह संतो की तरह शांत रहता और हमेशा ही सत्य बोलता था। धीरे-धीरे दोनों भाई बड़े होने लगे झूठ की झूठ बोलने की आदत बढ़ती गई और सच हमेशा सच ही बोलता था। इसलिए लोग उसे हमेशा पसंद करते थे और झूठ को पसंद नहीं करते थे। झूठ जब भी सच को देखता उसे बहुत गुस्सा आता था। क्योंकि सच की वजह से लोग उसे पसंद नहीं करते थे सच और झूठ थे तो दोनों एक ही बात के बेटे लेकिन सच को लोग ज्यादा पसंद करते थे और झूठ को नहीं। इसी वजह से झूठ सच पर गुस्सा रहता था। एक दिन झूठ ने सच से झूठ बोला कि चलो हम कहीं घूमने चलते हैं। सच की फितरत थी सच बोलने की इसलिए उसने झूठ के झूठ को सच मानकर जाने को तैयार हो गया। पर झूठ ने जाने से पहले फिर से झूठ बोला और कहा कि चलो हम घूमने से पहले नहा कर आते हैं। सच ने सच मानकर वह नहाने चला गया। जैसे ही सच नदी में नहाने गया झूठ उसके कपड़े लेकर भाग गया सच अपने ही सच की वजह से नदी में डूब गया और आज झूठ सच के कपड़े को पहनकर पूरी दुनिया में घूम रहा।

✍🏻Ambikesh Tripathi
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