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सपनें
दो दिन बाद, आज जब मैं शहर से वापस आई तो अपने साथ ढेर सारे रंग- बिरंगे फूलों का गुलदान भी लाई थी।
जैसे ही room में गई, मैं खुद को मन ही मन बुदबुदाई-"उफ्फ मैं भी ना जल्दी_2 में सारे सामान इधर- उधर फेंक कर चली गयी थी।"
यह कहकर मै सामान को समेंटकर रखने लगी।
हालाँकि मुझे सामानों को व्यवस्थित ढंग से रखने का काफी शौक था। क्योंकि बिखरे कमरे में मुझे ना नींद आती ना पढ़ने मे मन...