// यौन हिंसा //
यौन हिंसा
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आज़ लोगों को पता ही नहीं है कि आख़िर यौन हिंसा है क्या...यौन हिंसा से इनका मतलब सिर्फ़ किसी की मर्ज़ी के विरुद्ध उसके साथ शारीरिक संबंध बनाने से होता है इसके अलावा जो अपशब्द बोले जाते हैं, जिनमें मां बहन की गालियां देते हैं, किसी को गन्दे गन्दे संदेश भेजते हैं इन सबको साधारणतया ले रहे हैं।
आजकल तो दूसरों के घर में, अपने हॉस्पिटल में, छात्रावास में, स्कूल के वाशरूम में, छिपकर कैमरे लगा दिए जा रहे हैं फिर ब्लैकमैल करते हैं।
किसी की मर्ज़ी के खिलाफ़ किसी को छूना भी यौन हिंसा के अंतर्गत ही आता है,बस, ट्रेन, या भीड़भाड़ वाली जगह पर ऐसे बहुत सारे मामले देखने को मिलते हैं।
यौन संबंधी बात करना,किसी को अपने अंगों को दिखाना, और किसी से यौन अंगों को दिखाने के लिए कहना, या फिर यौन संबंधी बातें पूछना, किसी को देखकर सीटी बजाना, अभद्र टिप्पणी करना,किसी व्यक्ति के मर्ज़ी के खिलाफ़ उससे यौन संबंधित बातें करना,यह सब यौन हिंसा के अंतर्गत ही आता है।
किसी भी रिश्ते में हो यदि तुम्हारा साथी इनमें से कोई भी कार्य तुम्हारी मर्ज़ी के खिलाफ़ करता है तो यह यौन हिंसा है, विवाहित हो या अविवाहित।
आजकल के विज्ञापन भी बहुत ही अभद्रता के साथ दिखाए जा रहे हैं।
आज यदि आपसे कहा जाए कि मात्र एक घण्टे के लिए अपने चारों ओर ध्यान देना है कि क्या साधारण है और क्या असाधारण देखने को मिल रहा है तो आपको शायद ही कुछ असाधारण लगे क्योंकि यह सब हमारी जिन्दगी का हिस्सा बनता जा रहा है।
हमारी दुनिया अब ऐसी बनती जा रही है जहां रोज़ लाखों लोगों के साथ ऐसा होता है और हम इसको साधारण सी बात मानकर छोड़ देते हैं।
यौन हिंसा सिर्फ औरतों के साथ ही नहीं बल्कि किसी के साथ भी उसकी मर्ज़ी के खिलाफ़ यौन संबंध से संबंधित कोई भी प्रक्रिया की जाए तो वो यौन हिंसा के अन्तर्गत ही आती है, यौन हिंसा पुरुषों के साथ भी हो रही है।
बच्चे जो बोल नहीं सकते या जिनको पता ही नहीं है यह क्या होता है उनके साथ ऐसी बहुत सी घटनाऐं प्रतिदिन हो रही हैं।
हिन्दी सिनेमा में एक फ़िल्म “कहानी” के माध्यम से लोगों और समाज को इस विषय से अवगत कराने का प्रयास किया गया है।
जागरुक होना बहुत आवश्यक है और बच्चों को प्रारंभिक शिक्षा के साथ “अच्छा स्पर्श” और “गलत स्पर्श” के बारे में जरूर बताया जाना चाहिए यह एक गंभीर विषय है जिस पर ध्यान देना अति आवश्यक है।
आजकल तो इन्सान इतना गिर गया है उसकी सोच इतनी नीच हो गई है कि वो अब जानवरों के साथ भी संबंध बनाने का प्रयास करता है,ऐसी ही घटनाएं हर रोज़ सुनाई देती हैं, मानवता शर्मसार हो रही है।
जब तक इन्सान अध्यात्म की ओर नहीं बढ़ेगा,अपनी इंद्रियों को अपने वशीभूत नहीं कर पाता यह सब देखने को मिलता ही रहेगा।
इसलिए हमें अपनी आत्मा का बोध होना चाहिए, हमें ईश्वरीय शक्ति को अपने अंदर जाग्रत करने का प्रयास करना चाहिए।
आकांक्षा मगन “सरस्वती”
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#सरस्वती
#आकांक्षामगनसरस्वती
© ~ आकांक्षा मगन “सरस्वती”
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आज़ लोगों को पता ही नहीं है कि आख़िर यौन हिंसा है क्या...यौन हिंसा से इनका मतलब सिर्फ़ किसी की मर्ज़ी के विरुद्ध उसके साथ शारीरिक संबंध बनाने से होता है इसके अलावा जो अपशब्द बोले जाते हैं, जिनमें मां बहन की गालियां देते हैं, किसी को गन्दे गन्दे संदेश भेजते हैं इन सबको साधारणतया ले रहे हैं।
आजकल तो दूसरों के घर में, अपने हॉस्पिटल में, छात्रावास में, स्कूल के वाशरूम में, छिपकर कैमरे लगा दिए जा रहे हैं फिर ब्लैकमैल करते हैं।
किसी की मर्ज़ी के खिलाफ़ किसी को छूना भी यौन हिंसा के अंतर्गत ही आता है,बस, ट्रेन, या भीड़भाड़ वाली जगह पर ऐसे बहुत सारे मामले देखने को मिलते हैं।
यौन संबंधी बात करना,किसी को अपने अंगों को दिखाना, और किसी से यौन अंगों को दिखाने के लिए कहना, या फिर यौन संबंधी बातें पूछना, किसी को देखकर सीटी बजाना, अभद्र टिप्पणी करना,किसी व्यक्ति के मर्ज़ी के खिलाफ़ उससे यौन संबंधित बातें करना,यह सब यौन हिंसा के अंतर्गत ही आता है।
किसी भी रिश्ते में हो यदि तुम्हारा साथी इनमें से कोई भी कार्य तुम्हारी मर्ज़ी के खिलाफ़ करता है तो यह यौन हिंसा है, विवाहित हो या अविवाहित।
आजकल के विज्ञापन भी बहुत ही अभद्रता के साथ दिखाए जा रहे हैं।
आज यदि आपसे कहा जाए कि मात्र एक घण्टे के लिए अपने चारों ओर ध्यान देना है कि क्या साधारण है और क्या असाधारण देखने को मिल रहा है तो आपको शायद ही कुछ असाधारण लगे क्योंकि यह सब हमारी जिन्दगी का हिस्सा बनता जा रहा है।
हमारी दुनिया अब ऐसी बनती जा रही है जहां रोज़ लाखों लोगों के साथ ऐसा होता है और हम इसको साधारण सी बात मानकर छोड़ देते हैं।
यौन हिंसा सिर्फ औरतों के साथ ही नहीं बल्कि किसी के साथ भी उसकी मर्ज़ी के खिलाफ़ यौन संबंध से संबंधित कोई भी प्रक्रिया की जाए तो वो यौन हिंसा के अन्तर्गत ही आती है, यौन हिंसा पुरुषों के साथ भी हो रही है।
बच्चे जो बोल नहीं सकते या जिनको पता ही नहीं है यह क्या होता है उनके साथ ऐसी बहुत सी घटनाऐं प्रतिदिन हो रही हैं।
हिन्दी सिनेमा में एक फ़िल्म “कहानी” के माध्यम से लोगों और समाज को इस विषय से अवगत कराने का प्रयास किया गया है।
जागरुक होना बहुत आवश्यक है और बच्चों को प्रारंभिक शिक्षा के साथ “अच्छा स्पर्श” और “गलत स्पर्श” के बारे में जरूर बताया जाना चाहिए यह एक गंभीर विषय है जिस पर ध्यान देना अति आवश्यक है।
आजकल तो इन्सान इतना गिर गया है उसकी सोच इतनी नीच हो गई है कि वो अब जानवरों के साथ भी संबंध बनाने का प्रयास करता है,ऐसी ही घटनाएं हर रोज़ सुनाई देती हैं, मानवता शर्मसार हो रही है।
जब तक इन्सान अध्यात्म की ओर नहीं बढ़ेगा,अपनी इंद्रियों को अपने वशीभूत नहीं कर पाता यह सब देखने को मिलता ही रहेगा।
इसलिए हमें अपनी आत्मा का बोध होना चाहिए, हमें ईश्वरीय शक्ति को अपने अंदर जाग्रत करने का प्रयास करना चाहिए।
आकांक्षा मगन “सरस्वती”
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© ~ आकांक्षा मगन “सरस्वती”