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रिश्ते
प्रिया अभी-अभी अपने ससुराल आई थी। मुश्किल से छः सात महीने हुए होंगे। एक दिन उसने अपनी सास से कहा मां जी आप हमेशा मेरी गलतियों पर पर्दा डाल देती हो कभी मेरी गलतियां नहीं बताती हो...पर आज आपको मेरी गलतियां मेरी कमियां बतानी ही पड़ेगी.. जिसमें मुझे
सुधार करने की आवश्यकता है। और जिसे सुधार कर मैं एक आदर्श बहू बन सकती हूं। अरे बहू तुम तो मुझे दुविधा में डाल रही हो..! फिर भी मैं तुम्हें सोच कर बताऊंगी । जी मां कह कर प्रिया अपने कमरे में चली गई। और फिर दो दिन के बाद प्रिया जब रसोड़े में गयी तो उसने देखा रसोड़े में उसके नाम का एक पार्सल रखा हुआ है।उसने उत्सुकतावश पार्सल को जल्दी जल्दी खोलने लगी। पार्सल में उसके पसंद का बहुत ही खूबसूरत शिफॉन की एक साड़ी और उसके साथ एक चिट्ठी भी थी । चिठ्ठी में लिखा था बहू जब से तुम मेरे घर में आई हो मेरा घर उपवन सा खिल उठा हैं।अब मुझे कभी अकेलापन नहीं खलता है।तू हम सबका कितना ख्याल रखती हैं। मैं तो धन्य हो गई तुम्हें पाकर..!! चिठ्ठी पढ़ते पढ़ते उसके आंखों से आंसू बहने लगे और वो भागी भागी जाकर अपने सासू मां के चरणों से लग गई..। मां जी आपने मुझे वो स्थान दिया जिसकी मैं तो काबिल भी नहीं थी। सास ने बहू को गले से लगाते हुए कहा तुम बहुत अच्छी हो। बस यूं ही सदा मुस्कुराती हुई रहना।
प्रिया की सास बड़ी ही आसानी से उसकी कमियों को गिना सकती थी और वो भी एक दो नहीं बल्कि बहुत सारी कमियां थी प्रिया में जिसमें वाकई सुधार की बहुत जरूरत थी। लेकिन प्रिया की सास ने ऐसा नहीं किया और अपनी बहू को वक्त दिया सीखने समझने और अपने नये घर में एडजस्ट होने के लिए। जिससे उनके रिश्तों में और भी निखार आ गया....!!
किरण