अलग ही दुनिया
पाखी का भोले पर बहुत यकीन था
वो ज्यादा बड़ी भक्त भले नहीं थीं पर
भोले को बहुत याद करती पूजा के समय ऐसा लगता वो कहीं खो गयी
ये अनुभूति अद्भुत लगती
श्रावण आया भक्त मंदिरों मे जाकर शिव पर जल चढ़ाने लगे
पाखी घर मे ही रहकर पूजा करती
और शिवलिंग पर जल चढ़ाती भले रोज नहीं
पाखी को दुःख होता वो क्यों मंदिर नहीं जा पाती
पाखी ने...
वो ज्यादा बड़ी भक्त भले नहीं थीं पर
भोले को बहुत याद करती पूजा के समय ऐसा लगता वो कहीं खो गयी
ये अनुभूति अद्भुत लगती
श्रावण आया भक्त मंदिरों मे जाकर शिव पर जल चढ़ाने लगे
पाखी घर मे ही रहकर पूजा करती
और शिवलिंग पर जल चढ़ाती भले रोज नहीं
पाखी को दुःख होता वो क्यों मंदिर नहीं जा पाती
पाखी ने...