ख़त (I)
मेरे ना हो सके तुम,
मैं याद तो हूं ना अब भी? या तुम अपनी मशरूफियत में इतने मशगूल हो गए कि हमारे दरमियां हुई बातों को भी भुला दिया? अच्छा चलो मान लिया कि तुम हमारी पिछली सारी बातें भूल चुके हो पर वो तुम्हारा...
मैं याद तो हूं ना अब भी? या तुम अपनी मशरूफियत में इतने मशगूल हो गए कि हमारे दरमियां हुई बातों को भी भुला दिया? अच्छा चलो मान लिया कि तुम हमारी पिछली सारी बातें भूल चुके हो पर वो तुम्हारा...