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निक्कू chapter no.19
आख़िरकार अंत मे मेरी परीक्षा खत्म हो गयी और मैं अब झांसी पहुच चुका था क्योंकि परीक्षा के बाद कुछ दिन की छुट्टियां मिली थी ,,आगे की तैयारी अछि हो तो साथ मैं कुछ किताबे भी ले आया था ,ओर थोड़ा बहोत पढ़ता भी था,ओर जब भी समय मिलता था वो समय मैं निक्कू को देता था उससे बात करता था,ओर वो भी करती थी,कुछ मोहब्बह तो कुछ दोस्ती की ओर सब बातें होती कि कैसे छुट्टियां बीत रही ह निक्कू की वो भी बहोत खुस थी की बहोत दिन बाद उसे दोस्त,घर, ओर अपने परिवार से मिलने का मौका मिलेगा,,
,वेसे झांसी से ज़्यादा दूर ग्वालियर नही था और तो ओर मौसम भी अच्छी थी और मेरे पास सुविधा भी थी पर कोई चाहे तब तो हम मंजिल पर पहुँच पाते पर निक्कू तो पूछी भी नही की आ जाओ घूम लो ,काश वो वक़्त मैं अगर एक बार निक्कू दिल से बोल देती की आजाओ एक बार ग्वालियर ओर घूम लो तो मैं चला जाता पर निक्कू ऐसा नही चाहती थी,पर घूमने का बड़ा मन था मेरे उस समय मैं भी कहा रुकने वाला था,
वो कहते है ना
रास्ते कहा खत्म होते है
जिंदगी के सफर में,
मंजिल तो वहां है
जहां ख्वाहिशें थम जाए
आखिर मैं फैसला कर लिया कि मुझे कहि तो घूमने जाना है
तो आखिर मैं वही गए जिसे मोहब्बत का शहर बुलाते है
आगरा मैं घूमने का प्लान तो बन गया ,
अगले दिन मैं सुबह 4 बजे निकल गया ठंडी रातो मैं क्योंकि 5 बजे ट्रैन थी मेरी ओर मैं चला गया
आगरा पहुच कर मैंने खूब मस्ती की नीतेश ने अपना सहर घुमा दिया 1 दिन वहा रुका ओर अगले दिन ही मैं आगरा से झांसी लौट आया, फिर कुछ दिन रहा झांसी मैं फिर कॉलेज के लिए आ गया ,कॉलेज मैं बहोत कम बच्चे थे ,
पर फिर भी मैं जाता था,कॉलेज के दूसरे दिन ही मैं ओर ईशु बात कर रहे थे ,ओर उतना तो याद नही है मुझे पर इतना याद है कि वो पहली लड़की थी इस कॉलेज मैं जो मुझसे मेरा नंबर मांगा था और मैंने अपना फ़ोन ही दे दिया ओर बोला लिख दो नंबर,,वक़्त धीरे धीरे गुज़रने लगा सब आने लगे निक्कू भी आ गयी थी
मेरे चेहरे पर एक अलग ही मुस्कान थी उस को देख कर क्योंकि बहोत दिन बाद देख रहा था उसे ,दिन बीत रहे थे इन्तेहान का परिणाम भी आने वाला था सब डरे हुए थे ,ओर वो वक़्त भी आ ही गया जब परिणाम आ चुका था,मेरे निक्कू टॉप की थी मैं बहोत खुस था अपने परिणाम से ज्यादा उसके परिणाम से खुस था मैंने निक्कू को बधाई दी और बोला और मेहनत करो इस से अच्छा परिणाम आएगा।।

समय बीत रहा था मुझे होस्टल भी छोड़ना था और एक अच्छा रूम पार्टनर भी ढूंढना था तो इसमें मेरी मदद मेरा दोस्त राकेश कर रहा था,ओर वो ढूंढ रहा था,ओर उसने ढूंढ भी लिया एक ऐसे शख्स को जो आज मेरा सबसे अच्छा मित्र मेरा भाई ओर मेरा मार्गदरसक भी है उसका नाम अमनदीप है,अमनदीप पढ़ने मैं बहोत अच्छा था और पढ़ाई मैं हमेसा आगे उस समय उतना तो नही जानता था पर दिल का अच्छा था,अब हम साथ मैं रूम ढूंढने लगे साम मैं जब भी हमे समय मिलता हम मिला करते थे,ओर बातें करते और साथ मैं रूम ढूंढा करते थे,वेसे अमनदीप ओर राम एक ही रूम मैं थे पर अब हम साथ मैं रहने वाले थे,
एग्जाम भी आने वाले थे और इधर हम रूम के लिए परेशान,
निक्कू को भी बाहर जाना था पर वो लड़की है उसे बहोत से दिक्कतों का सामना करना पड़ता इसीलिए वो नही गयी और मैंने भी मना किया कि मत जाओ आगे का आगे देखना अभी मत जाओ।
To be continued.....