रसोईघर और मैं
*रसोईघर और मैं*
रसोईघर से वैसे तो बड़ा पुराना रिश्ता रहा है। जब मैं छोटी थी तब मैं अपने बहन भाई और दोस्तो के साथ घर-घर खेला करती थी। वो मासूम सी मैं और लड़ता झगड़ता मेरा दोस्त और बाकी घर के सदस्य..! वो छोटासा घर, छोटे छोटे बर्तन, छोटासा गॅस, और वही छोटीसी "रसोई"... जैसे माँ घर का सारा काम किया करती है खाना पकाती है वैसे हमारे इस छोटेसे घर मे भी सबको लगता था कि खाना यहाँ भी मैं ही बनाऊंगी। तो उस खेल मैं जो मेरा साथी बनता वो सुबह ही अपने ऑफिस चला जाता मैं जैसे मेरी माँ किया करती थी वैसे उसका नाश्ता बनाना, टिफिन तयार करना, फिर दोपहर का खाना बनाना वो भी इस अन्दाजेसे कि बच्चों को दिनभर खाने की कमी महसूस न हो, फिर शाम की चाय, ओर रात का खाना भी...! था तो एक खेल ही पर सारे खेल में एक ही काम कर के...
रसोईघर से वैसे तो बड़ा पुराना रिश्ता रहा है। जब मैं छोटी थी तब मैं अपने बहन भाई और दोस्तो के साथ घर-घर खेला करती थी। वो मासूम सी मैं और लड़ता झगड़ता मेरा दोस्त और बाकी घर के सदस्य..! वो छोटासा घर, छोटे छोटे बर्तन, छोटासा गॅस, और वही छोटीसी "रसोई"... जैसे माँ घर का सारा काम किया करती है खाना पकाती है वैसे हमारे इस छोटेसे घर मे भी सबको लगता था कि खाना यहाँ भी मैं ही बनाऊंगी। तो उस खेल मैं जो मेरा साथी बनता वो सुबह ही अपने ऑफिस चला जाता मैं जैसे मेरी माँ किया करती थी वैसे उसका नाश्ता बनाना, टिफिन तयार करना, फिर दोपहर का खाना बनाना वो भी इस अन्दाजेसे कि बच्चों को दिनभर खाने की कमी महसूस न हो, फिर शाम की चाय, ओर रात का खाना भी...! था तो एक खेल ही पर सारे खेल में एक ही काम कर के...