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एक चिट्ठी✍️
#चिट्ठी
लाइब्रेरी में बैठी हुई निकिता क़िताब के पन्ने पलट रही थी और बेसब्री से सुप्रिया का इंतज़ार कर रही थी। जब से सुप्रिया का कॉल आया था और उसने उसे लाइब्रेरी बुलाया था ये कहने को की उसको उस चिट्ठी के बारे में पता चला है, तब से निकिता बेचैन थी।
उसे उस चिट्ठी की फिक्र हो रही थी .....

ये बात तब की हैं जब निकिता पढ़ रही थी तो उसे एक लड़के से प्यार था
जिसका नाम "जय " था ,
जय भी उसी स्टैंडर्ड में पढ़ता था
लेकिन बात ये थी की निकिता ने कभी उससे बात ही नही की , वो बस उसे रोज छुप _ छुप के देखा करती थी ......
मुस्कुराया करती थी और इंतजार करती थी की कभी शायद कभी गलती से ही सही जय उसकी तरफ देख ले लेकिन........
ऐसा होना थोड़ा मुश्किल लग रहा था ।
क्योंकि जय के बहुत चाहने वाले थे और वो
सबका फेवरेट था ,

क्यूं वो सबका favourite था ?
आप भी सोच रहे होंगे तो बात ये थी की ,
जय, एक म्यूजिक आर्टिस्ट जैसे( पियानो , गिटार बजाना, सिंगिंग करना उसका शौक था), पेंटर भी था वो , वो अपने कॉलेज का सबसे मल्टीटैलेंटेड बॉय था ।
स्मार्ट , लंबा , दिखने में अच्छा , समझदार, सबका आदर करना , मानो सारे गुण भगवान ने इसे ही दे दिए हो ।
तो हुआ न लाडला.......

और
हमारी निकिता एक साधारण, सीधी व इमोशनल टाइप की थी पर बाहर से,
अंदर से वो भी थोड़ी नादान, सबको तंग करना सबका मजा लेना और भी बहुत सारी अच्छी बातें थी उसमे ......

तो अगर आप इन दोनो के बारे में जान चुके तो हम आगे चलते है तो ,
आज कॉलेज में बहुत शोर था सब इधर _उधर आ_ जा रहे थे कोई सेलिब्रेशन 🎉 की तैयारी कर रहा है तो कोई केक का इंतजाम सभी किसी न किसी सरप्राइस में लगे हुए थे।
तभी ,
निकिता और सुप्रिया ने ये देखा तो उन्होंने पूछा - ये क्या हो रहा है यहां ....
तभी उनमें से किसी ने कहा -
कि जय का बर्थडे है आज ,
तो क्या ,

निकिता शांत हो गई तभी
सुप्रिया ने पूछा:- क्या हुआ

निकिता: यार , तुम्हे नही लगता हैं कि मुझे भी उसे कुछ देना चाहिए

सुप्रिया को निकिता के बारे में पता था वे,
दोनो बहुत अच्छे दोस्त थे ।

सुप्रिया: क्या देना चाहती है तू

निकिता: ऐसे चीज जो उसे मेरा एहसास कराए की कोई है जो उसे प्यार भी करता है

सुप्रिया: तो , क्या सोचा है,

निकिता: चिट्ठी

सुप्रिया : कैसी चिट्ठी?

निकिता: तू बस देखती जा ....

फिर निकिता ने एक चिट्ठी लिखी ,
जय के नाम
"
डियर जय,
जन्मदिन की बहुत बहुत बधाई।
आपकी हर ख्वाहिश पूरी हो, आप कामयाब हो ।
अब आप सोचेंगे की इतने डिजिटल जमाने में चिट्ठी लिखने का क्या मतलब है.....
पर ,
मुझे नहीं पता कि ये मेरी चिट्ठी जो मैंने आपके लिए लिखी हैं ये आपके पास पहुंचेगी या नहीं।

पर अगर आप के पास पहुंचती है तो मुझसे ज्यादा कोई और खुश नहीं होगा ।
अगर सच में ये चिट्ठी आपने पढ़ी है तो प्लीज़ ये 🎁 गिफ्ट खोले और देखे
अगर आपको यह पसंद आए तो "थैंक्स "
बोलने के लिए आप मुझे कॉल कर सकते है 😉और अगर कभी आपकी हमारी मुलाक़ात हुई तो आप के गिफ्ट के साथ मैंने अपनी कुछ खास चीज दी है उसे मुझे आप तब वापस करोगे जब हम मिलेंगे ।

आपकी फैन

अगले दिन ,

सुप्रिया निकिता से : क्या हुआ भेजा चिट्ठी ?
निकिता : हां
सुप्रिया: तो कोई जवाब?
निकिता: अभी तक नहीं
सुप्रिया : कोई बात नही , हो सकता है वो उसके पास पहुंची ही न हो अभी तक
निकिता : नहीं यार , पहुंच गई होगी पर अभी तक कुछ जवाब नहीं आया

तभी कुछ देर बाद एक unknown number से कॉल आता है
हेलो,
निकिता : जी कहिए
unknown : मै जय ____
निकिता: चुप......
जय: सुनिए
निकिता: हां
जय: मुझे तुम्हारी चिट्ठी मिली मुझे बहुत पसंद आया तुम्हारा मेरे लिए पैगाम भी और तुम्हारा तोहफ़ा भी, थैंक्यू।
निकिता : हम्मम
जय: क्या हम मिल सकते है.... अगर तुम्हे सही लगे तोह
निकिता : हां ज़रूर
जय: थैंक्यू

अब निकिता के दिमाग में खुराफात आया उसने जय का टेस्ट लेने के लिए
अपनी जगह अपनी फ्रेंड सुप्रिया को भेज देती है.......
सुप्रिया के बहुत मना करने के बावजूद निकिता उसे भेज देती है.....
वहा सुप्रिया और जय मिलते है बाते करते है.....
और ये मुलाकात जारी होने लगती है
जोकि निकिता को पसंद नहीं आता , वो सुप्रिया से कुछ कह भी नहीं पा रही थी
सुप्रिया के बर्ताव में भी बदलाव हो रहा था

एक बार ,
निकिता और सुप्रिया कॉलेज में बाते कर रहे होते है की अचानक जय , न जाने कहा से आ गया रहता है वो निकिता को देखते हुए सुप्रिया को कही चलने केे लिए कहता है......
तो ,
निकिता सुप्रिया से , तू जा .....
फिर निकिता तुरंत वहा से निकल जाती है और कोने में जा कर उसे देख कर रोने लगती है......पर अब कर भी क्या सकती है जो गलती की है उसे तो भुकतना पड़ेगा ही।
ऐसा ही एक बार फिर होता है कैंटीन में बैठे होती है निकिता और सुप्रिया मस्ती कर रही होती है कि जय आ जाता है और चेयर पर बैठ जाता है
निकिता शौक़ हो जाती है,

जय : हाय
सुप्रिया : हाय जान
जय : हाय निकिता
निकिता: हाय
निकिता को उन दोनों के बीच रुकना नही चाहती है वो किसी बहाने से वहा से जाना चाहती है......
निकिता सुप्रिया से: अच्छा, चलो में चलती हु मुझे कुछ काम याद आ गया , ____ बाय

जय: तुम्हारी फ्रेंड मुझे देखते ही भागती क्यूं है रोकती क्यों नही उसे तुम...
सुप्रिया: पता नहीं

निकिता जाती ही है, की उसे याद आता है ,कि उसकी मोबाइल तो भी छूट गई
वो फिर वापस आती है तो देखती है जय उसकी मोबाइल लिया होता है और मुस्कुराता है
निकिता: मेरी मोबाइल???
जय: ये रही आपकी मोबाइल
वो मोबाइल लेती है ओर फिर बिना कुछ कहे सीधे निकल जाती है
और फिर,
एक दिन,
निकिता अकेले आंखो मे आशु लिए बैठी होती है तभी वहा पर जय आता है ,
जय : 👋 निकिता
निकिता: तुम यहा क्या कर रहे हो , जाओ यहां से
जय : मुझे कुछ बात करनी है
निकिता: पर मुझे नही करनी
जय :एक बार सुन तो लो
निकिता : बोलो
जय: I love you
बोलते ही कहा इसके आगे का जवाब तुम्हे मेरी चिट्ठी में मिलेगा जो की सुप्रिया के पास है

मेरा और सुप्रिया का कोई रिलेशन नही हम बस दोस्त हैं और कुछ नही ।
ये कहते ही जय वहा से चला जाता है।
____________________________

फिर लाइब्रेरी मे सुप्रिया चिट्ठी लेके पहुंची
तो ,
निकिता ने चिट्ठी पढ़ा ,
जिसमे उसकी वो कीमती चीज थी जो उसने जय को दिया था और कहा था " जब हम पहली बार मिलेंगे तो आप इसे वापस करेंगे मुझे "
चिट्ठी मे लिखा था,
मुझे तुम्हारे बारे में पहले ही पता चल गया था सुप्रिया ,ने मुझे सब कुछ बता दिया था लेकिन मै तुम्हे देखना चाहता था कि तुम मेरे बारे में क्या जानना चाहती हो ....... और तुम मुझे पहले से भी ज्यादा ख़ास लगी उस दिन जब मैंने तुम्हारी मोबाइल में खुद की तस्वीर देखी तो यकीन हो गया की तुम अभी भी मुझ से बहुत प्यार करती हो।

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