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वो पल


साल 2008 अगस्त १६ की सुबह भी हर रोज़ की तरह सूरज की लालिमा आकाश को रोशन कर रही थी पर पुरे गाँव में अजीब सा सन्नाटा था। आखिर आवाज होती भी कैसे गाँव के एकलौते स्कूलमास्टर मुरली बाजपाई जी का बेटा रघुवीर आने वाला था उसने वादा जो किया था की इस राखी वो छुट्टी ले कर गाँव आएगा। "रघुवीर" गाँव का सबसे शरारती लड़का जो बचपन में मुंशी जी के गल्ले में नकली चूहा रख आता था तो कभी पड़ोस की काकी के घर में लगे अमरुद के पेड़ से अमरुद तोड़ के गाँव के बच्चो में बाँट दिया करता था। उसके बताये समय पर सारा गाँव उसके घर के सामने खड़ा था, आखिर पुरे दो साल के बाद रघुवीर सेना में भरती होने के बाद घर आने वाला था। ठीक दोपहर १ बजे चार बड़ी गाड़ियाँ मास्टर जी के घर के सामने रूकती है और पीछे से आता फूलो और तिरंगे से सजा हुआ आर्मी का ट्रक। किसी को कुछ समझ नहीं आता कि आखिर हो क्या रहा है। सारा गाँव रघुवीर से दो साल के बाद मिलने को बेताब था। जिस गाँव में आज तक सही से बिजली नहीं आ सकी वहाँ अचानक टीवी चैनल वाले अपनी गाड़ियों में आ गए। जिस गाँव को बड़े बड़े नेता पूछते भी नहीं थे वो भी आज गाँव में थे। और इन सबके बीच बाजपाई जी अपनी आँखों से आंसू को पोछते हुए गाँव वालो से कहते नज़र आये "मैंने कहा था न मेरा रघु अपने वादे से पीछे नहीं हटेगा देखो वो आ गया"
जब ट्रक से रघुवीर उतरा सारा गाँव रो दिया। गाँव का सबसे शरारती लड़का जो हर वक़्त गाँव में उछलकूद किया करता था आज वो तिरंगे में लिपटा हुआ वापस आया था। आज पहली बार था कि मुंशी जी की भी आँखों में रघुवीर को देख कर आंसू आ गए थे। हाँ शायद यही वो पल था जब बाजपाई जी और गाँव के बाकी लोग शब्दों में बयाँ नहीं कर सकते थे। - VAIBHAVRV
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