"पश्चिमी शिक्षा या गुलामी की तामील "
भूमंडलीकरण के युग में विश्व समुदाय के बीच शिक्षा की महत्ता बढ़ती जा तरह है। लोग अपने बच्चों को मिशनरी स्कूलों में पढ़ाकर ख़ुद को गौरवान्वित महसूस कर रहे हैं । उनके अनुसार केवल पश्चिमी शिक्षा प्राप्त करके ही उनके बच्चे अपने लक्ष्य की प्राप्ति कर सकते हैं । बड़े बड़े स्कूलों और उनके बनावट से आकर्षित लोग भूल जाते हैं शिक्षा का असल अर्थ। वह भूल जाते हैं कि शिक्षा अर्जित करने का उद्देश्य सिर्फ़ नौकरी पाना ही नहीं बल्कि देश हित के लिए काम आना भी है । और वह शिक्षा ही क्या जो आपको गुलाम बना कर छोड़ दे।
पश्चिमी शिक्षा अपनाना कहीं से भी देश हित में नहीं अपितु इसके विपरीत रही है । क्योंकि इसने देश की संस्कृति एवं आवश्यकताओं के अनुरूप होना हमें सिखाया ही नहीं। जब तक शिक्षा व्यक्ति को एक ज़िम्मेदार नागरिक नहीं बनाती तब तक शिक्षा के उद्देश्यों की पूर्ति नहीं की जा सकती।
हमारे प्रगति ना होने का कारण यह भी रहा कि हमनें सिर्फ़ औद्योगिक शिक्षा पर ही विशेष बल दिया । अगर केवल अभियंता, चिकित्सक,वैज्ञानिक और कुशल...
पश्चिमी शिक्षा अपनाना कहीं से भी देश हित में नहीं अपितु इसके विपरीत रही है । क्योंकि इसने देश की संस्कृति एवं आवश्यकताओं के अनुरूप होना हमें सिखाया ही नहीं। जब तक शिक्षा व्यक्ति को एक ज़िम्मेदार नागरिक नहीं बनाती तब तक शिक्षा के उद्देश्यों की पूर्ति नहीं की जा सकती।
हमारे प्रगति ना होने का कारण यह भी रहा कि हमनें सिर्फ़ औद्योगिक शिक्षा पर ही विशेष बल दिया । अगर केवल अभियंता, चिकित्सक,वैज्ञानिक और कुशल...