...

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अपराजिता :- मेरे सफ़र की धूप छाँव

“In the midst of your family guessing,
you came out as a blessing.

While most of your relatives wanted you to be He,

you were made, with the grace of almighty, a proud she."

पहले दिन जब ये पता चला,
परिवार में कोई आने वाला है भला,

" कहीं ये लड़की तो नही ,
विरोधाभास मन में यही "

" हमने कोई अच्छा कर्म किया होगा ।
हाँ हमारे घर तो लड़का ही होगा । "

इन बातों से वो रोज़ रोज़ अब तो घिरने लगी थी ।
दुनिया में आने से पहले ही उसकी नन्ही जान डरने लगी थी ।

She gets manipulated by the people around her and wants to have a baby boy .

समझ नहीं आता,
लड़का हो या लड़की फ़र्क़ किस बात का है ??
कोई प्रथा है ये,
या मसला सिर्फ लोगो के जज्बात का है ??


जब देखकर तस्वीर लड़के की,
हद तो तब हो जाती है ।
सबके मन में लड़का ही,
पैदा करने की उम्मीद पनप जाती है ।

उनके लिए बड़ा ही दुःखद रहा ,आँखे सबकी भड़की हुई !
बहुत से लोगो ने कहा:- हे भगवान!! ये तो लड़की हुई ।

आज भी दिमाग़ मे एक ही बात घूमती है I
बेटी हो गाली, बेटे को ही क्यों माँ चूमती है I

सबका कहना था :-

" छी आपकी किस्मत तड़की हुई है I

लोगों ने यह क्यूँ नही कहा कि :-

" मुबारक हो...