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दो दिलों का प्यार ( भाग - 20 )
अंजलि आराम से अपने कमरे में सो रही थी, और प्रेम उसके पास बैठ प्यार भरी नजरों से उसे देखा जा रहा था, कि तभी डॉक्टर अंदर आते है कुछ चेकअप के लिए, वो प्रेम को बाहर जाने के लिये कह देते है। कुछ मिनट बाद जब डॉक्टर बाहर आते है तो कहते है, की अभी अंजलि की तबियत बिल्कुल ठीक है पर फिर भी हम आपको कुछ दवाइयां देंगे जो रोज़ अंजलि को लेनी पड़ेगी। इतना कहकर डॉक्टर चले जाते है। अंजलि को दो दिन हो चुके थे अस्पताल में , अगली सुबह अब अंजलि को डिस्चार्ज कर दिया गया था, और वो प्रेम के साथ अपने घर जाने के लिये रवाना हो गयी थी। घर पहुँचते ही अंजलि के मम्मी पापा ने उन्हें गले लगाया, और प्रेम को धन्यवाद कहने लगे जो उन्होंने अंजलि के लिए किया। अंजलि जैसे ही अपने कमरे का दरवाजा खोलती है उसके कमरे में बहुत सारे गिफ्ट, फूल ये सब रखे हुए रहते है। पीछे से प्रेम कहता है पसंद आया ? अंजलि हँस के जवाब देती है, बिल्कुल.... इतना सब कुछ करने की क्या जरूरत थी, प्रेम उसे गले लगाकर कहता है, क्या करूँ, तुम्हारे लिए जितना करुँ मुझे उतना ही कम लगता है, तुम्हारे चेहरे पर स्माइल बहुत अच्छी लगती है, और एक बात बताऊं प्रेम कहता है, अंजली पूछती है जल्दी बताओ वो बात क्या है ? प्रेम कहता है जब तुम प्यार से गुस्सा करती हो तब तुम्हारी नाक टमाटर की तरह लाल हो जाती है। अंजलि ये सुनकर पास में रखी तकिया से उसे मारती है। दोनों इसी तरह हँसी मज़ाक करते और लाइफ को एन्जॉय करते है। प्रेम को कई दिन हो चुके थे वो ऑफिस अभी तक नही गया था, पर कहीं न कहीं से प्रेम और अंजलि के बारे में बाते होने लगी थी। पूरे ऑफिस में बस प्रेम सर और उनकी असिस्टेंट अंजलि की ही बातें हो रही थी।

To Be Continued......