...

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कॉलेज वाला प्यार
उस दिन सारे सीनियर रेग्गिंग कर रहे थे और अभय भी उन में शामिल थे। उस दिन पलक नहीं आई थी उसकी तबियत ख़राब थी। मैं जैसे ही कॉलेज गेट पर पहुंची ही थी मकई किसी की आवाज़ मेरे कानों में पड़ी "हे ब्लू सूट इधर आओ" मैंने अपने आस पास देखा तो फिर आवाज़ आई "तुमको ही बोलै है" मैंने धीरे धीरे उनकी तरफ जा रही थी। उनके ग्रुप में किसी ने कहा "कौनसा डिपार्टमेंट"
"आर्ट्स"
"ओह"
तभी वो लोग बोले "हम मेरा नाम रोहित, (फिर अपने पास बैठी लड़की तरफ इशारा करते हुए )ये रिया, और ये है अभय... चलो अपना नाम बताओ"
"जी कृतिका"
अभय "जी कृतिका जी आपको क्या करना पसंद है"


अब मैंने सोचा अगर बोला की मुझे कोई चीज़ पसंद है तो मेरे को करने को बोलेगे तो बहुत सोच समझ कर मैंने कहा "दौड़ना"
मेरी बात सुन रोहित जिनका एक फिक्स लाइन थी कर दिखो बोले "दौड़ के दिखाओ" फिर क्या का मैंने वह से ऐसा दौड़ी एक हफ्ते तक उनके हाथ नहीं आई। एक हफ्ते बाद मैं जब कॉलेज गई तो मेरे साथ पलक भी थी और सामने अभय जी अपने ग्रुप के साथ और इस बार एक चेहरा और था उनके साथ। उन सबको देख कर मैं डर गई लेकिन हिम्मत की आगे जाने की। जब हम उस ग्रुप के पास पुहंचे तो वह खड़े चौथे चहरे को देख कर मेरा चेहरा खिल गया मैं भाग कर उनके गले लग गई लेकिन शायद अभय को लगा। मैं उनसे अलग हुई और बोला "अमर भाई आप यहाँ कैसे"
"वो क्या है न हमारा दिल नहीं लग रहा था तो...