रात को जगाने वाली आतमा ( 2 Pm) असली भुतिया कहानी
दोस्तो ये कहानी जो आज मै आप को सुनाने जा रहा हूँ | ये एक दम रियल और डरावनी है | इस कहानी को मै स्वयं (खुद) आप के साथ शेयर करने जा रहा हूँ | क्युकी ये घटना मेरे ही साथ घटित हुई है | उम्मीद है मुझे आप सभी मित्रों पर के आपको मेरी ये कहानी जरूर पसंद आएगी | और आप सभी से एक आखरी ( Request) ईच्छा है कि आप मेरी ईस कहानी को हर जगह शेयर कर दीजिए गा |
मेरा नाम समीर है | और मै झारखंड ( Jharkhand) के जमशेदपर ( Jamshedpur) शहर का रहने वाला हूँ | ये घटना उस समय की है जब (2008) में भारी बारिश (वर्षा) और सब कुछ तबह कर देने वाला बाढ़ ( सैलाब) और आंधी तुफान आया था न जाने इस प्रलय से कितनों के घर और तमाम चिजें बर्बाद हुई थी किसीका का झोपड़ी किसिका बर्तन घर का समान ईत्यादि | नदी किनारे रहने वाले ग्वाला ( जो गाय का दुध बेचते है ) उनका गाय भैस उस बाढ़ मै बह गया | देस्तो मेरा भी घर बोला जाय तो नदी के ही साईट में था | मेरा मिट्टी का घर था उस टाइम बोला जाए तो उस टाईम कई लोग मिट्टी के ही घर में रहते थे | जिस दिन बाढ़ आया वह समय था रात का 8 am या 8:30 am के आस पास मै सोया हुवा था घर में मुझे खबर ही नहीं था के बाढ़ आया हुआ फिर मेरी बहन मुझे अपने कमर के बल बाहर निकाली | बाढ़ की वजह से न जाने क्या क्या बर्बाद हुआ मेरा घर उस बाढ़ में बह गया | मेरी बहन मुझे उस दिन का एक किस्सा बताती है के एक भैंस जो बाढ़ में बह रहा थी उसका सिर्फ गर्दन ही दिख रहा तभी एक तेजी से बहता हुआ झोंपड़ी उसके गर्दन से टकरा जाता है | जिस्से उसका गर्दन टूट जाता है |
ईस के बाद हम लोग ( Tisco ) Company का कवार्टर में रहते थें जब हम लोग पहली बार गए उस क्वार्टर में तब वहाँ घुटना ईतना कुड़ा कचड़ा भरा हुआ था जिसे हम लोग साफ करके रहने लगे थे बाहर आँगन में घुटना ईतना मिट्टी भरा हुआ था | जिसे खोद कर साफ करतें समय पुराने मोतियाँ निकलती थी | जो मै सफाई के दौरान निकाल कर खेलता था |
शुरु उस घर में मुझे सब ठिक लगा | क्युकी उस समय मै अपनी माँ के साथ सोता था | पर कुछ महिनो बाद मेरी माँ मुझे पलंग में भेज दी जहाँ मै और मेरा एक भाई एक साथ सोने लगे | पहला दिन तो मै अपने भाई से चिपक कर सो गया पर दुसरे दिन से वो मुझे एैसा करने से मना किया
एक दो दिन तो जैसे तैसे मै सो गया | पर उसके बाद से मेरे साथ अजीब वो गरीब घटना शुरु हो गई | उस दिन मै पुरी रात नहीं सोया था | हुआ युँ के उस दिन रात को मेरी अचानक नींद खुल गई | जिसके बाद मै पानी पी कर सोने जा रहा था | तभी मुझे | छन - छन की आवाज़ आने लगी | अब मेरा नींद फट गया था | मुझे काफी डर लग रहा था उस रात | मै शुरु से ही भुत प्रेत पर विशवाश रखता हुँ मेरे दोस्तों क्युकी मेरे घर के कई लोग अपनी कहानी मेरे को बताए है |
उस दिन पुरी रात मै जागा रहा | अब 3 बज चुका था |
मै अपने घर के बारे में बता देता हूँ | वह घर यानी ( कवार्टर ) वह काफी पुरीना था और मेन दरवाजा तुटा हुआ था और शुरु शुरु हमलोग पानी बाहर से लाते थे
लेकिन बाद में हमें नल मिल गया जमीन में दबा हुआ था | जिसे खोद के निकाला गया जिसके बाद हम लोग पाईप की मदद से पानी भरते थे और रात को मेन दरवाजा में लकड़ी का दरवाजा लगाते थे |
ताे रात के तीन बजे बाल्टी से पानी छलकना शुरु हो गया | मै और भी डर गया था ईस्से के ये क्या हो रहा है | उस समय एैसा लग रहा था कि मानो कोई बाल्टी
में बार बार कुद रहा हो
उस दिन के बाद ये सब रोज मेरे साथ एैसा होने लगा | एक बाद दोस्तो रोज रात को 2 बजे मेरा नींद खुल जाती था | जिसके बाद मै नही सोने सकता था | वजह तो आपको पता ही है |
कभी कभी मै अपनी माँ को जगा कर ये सब बताता था पर वो ये कह कर टाल देती थी कि ये छिपकली का आवाज बहुत बार मै डर के उठ जाता था | रात को गंदे गंदे सपने आलगॉ,लगा ते थे |
एक दिन मै चिख कर उठ गया | हुवा ये था की मै कोई समान लाने रात के 9:30 बजे गया हुआ था | पर आने टाइम मै काफी डर गया था | क्युु्की गली एक दम सन्नाटा था ईस लिए मै साईड में रुक कर ईंतेजार कर रहा था के कोई पार होगा तो मै उसके पीछे पीछे चल जाउँगा तभी एक बुढिया गली से जाने लगी तो मै भी उसके पीछे पीछे चलने लगा वो बुढिया मुझे उल्टा दौड़ा देती है | मुझे एैसा लगा था के वह बुढिया मुझे पकड़ ली हो | मुझे उस टाईम जो लगा उसे मै शब्दो मे नही बता सकता मेरी चीख की वजह से सभी लोग उठ गए थे |
मेरे साथ वहाँ बहुत सी घटना हुई थी
जैसे कटा हुआ हाथ देखना रात काे पट्टी यानी पायल का आवाज आना डेली 2 बजे नींद खुलना रात को नींद नही आना पानी का छलकना ये सब मेरे साथ उस घर में हुआ था
अब वो सभी कवार्टर तोडं दिया गया है कंपनी की तरफ से
एक बात तो मै बोल सकता हुँ के वो जो भी था या थी कभी हमें नुकशान नहीं पहुँचाई थी वहा हम लोग बहुत अच्छे से रहे दोस्तो 7-8 साल वहाँ बहुत खुशहाली था दोस्तो बहुत मजा आया वहाँ पे
अब मै अपने नए घर में हुँ | यहाँ मुझे मेरी माँ और मेरे घर के लोगो से पता चला के उन्हें
भी ये सब लगता था उस घर में पर वो बताते नही थे पर मै आज भी उस कवार्टर में बीताए हुए पल को याद करता हुँ
वो जो भी थे हमें कभी नुकशान नहीं पहुँचाए
The End
मेरा नाम समीर है | और मै झारखंड ( Jharkhand) के जमशेदपर ( Jamshedpur) शहर का रहने वाला हूँ | ये घटना उस समय की है जब (2008) में भारी बारिश (वर्षा) और सब कुछ तबह कर देने वाला बाढ़ ( सैलाब) और आंधी तुफान आया था न जाने इस प्रलय से कितनों के घर और तमाम चिजें बर्बाद हुई थी किसीका का झोपड़ी किसिका बर्तन घर का समान ईत्यादि | नदी किनारे रहने वाले ग्वाला ( जो गाय का दुध बेचते है ) उनका गाय भैस उस बाढ़ मै बह गया | देस्तो मेरा भी घर बोला जाय तो नदी के ही साईट में था | मेरा मिट्टी का घर था उस टाइम बोला जाए तो उस टाईम कई लोग मिट्टी के ही घर में रहते थे | जिस दिन बाढ़ आया वह समय था रात का 8 am या 8:30 am के आस पास मै सोया हुवा था घर में मुझे खबर ही नहीं था के बाढ़ आया हुआ फिर मेरी बहन मुझे अपने कमर के बल बाहर निकाली | बाढ़ की वजह से न जाने क्या क्या बर्बाद हुआ मेरा घर उस बाढ़ में बह गया | मेरी बहन मुझे उस दिन का एक किस्सा बताती है के एक भैंस जो बाढ़ में बह रहा थी उसका सिर्फ गर्दन ही दिख रहा तभी एक तेजी से बहता हुआ झोंपड़ी उसके गर्दन से टकरा जाता है | जिस्से उसका गर्दन टूट जाता है |
ईस के बाद हम लोग ( Tisco ) Company का कवार्टर में रहते थें जब हम लोग पहली बार गए उस क्वार्टर में तब वहाँ घुटना ईतना कुड़ा कचड़ा भरा हुआ था जिसे हम लोग साफ करके रहने लगे थे बाहर आँगन में घुटना ईतना मिट्टी भरा हुआ था | जिसे खोद कर साफ करतें समय पुराने मोतियाँ निकलती थी | जो मै सफाई के दौरान निकाल कर खेलता था |
शुरु उस घर में मुझे सब ठिक लगा | क्युकी उस समय मै अपनी माँ के साथ सोता था | पर कुछ महिनो बाद मेरी माँ मुझे पलंग में भेज दी जहाँ मै और मेरा एक भाई एक साथ सोने लगे | पहला दिन तो मै अपने भाई से चिपक कर सो गया पर दुसरे दिन से वो मुझे एैसा करने से मना किया
एक दो दिन तो जैसे तैसे मै सो गया | पर उसके बाद से मेरे साथ अजीब वो गरीब घटना शुरु हो गई | उस दिन मै पुरी रात नहीं सोया था | हुआ युँ के उस दिन रात को मेरी अचानक नींद खुल गई | जिसके बाद मै पानी पी कर सोने जा रहा था | तभी मुझे | छन - छन की आवाज़ आने लगी | अब मेरा नींद फट गया था | मुझे काफी डर लग रहा था उस रात | मै शुरु से ही भुत प्रेत पर विशवाश रखता हुँ मेरे दोस्तों क्युकी मेरे घर के कई लोग अपनी कहानी मेरे को बताए है |
उस दिन पुरी रात मै जागा रहा | अब 3 बज चुका था |
मै अपने घर के बारे में बता देता हूँ | वह घर यानी ( कवार्टर ) वह काफी पुरीना था और मेन दरवाजा तुटा हुआ था और शुरु शुरु हमलोग पानी बाहर से लाते थे
लेकिन बाद में हमें नल मिल गया जमीन में दबा हुआ था | जिसे खोद के निकाला गया जिसके बाद हम लोग पाईप की मदद से पानी भरते थे और रात को मेन दरवाजा में लकड़ी का दरवाजा लगाते थे |
ताे रात के तीन बजे बाल्टी से पानी छलकना शुरु हो गया | मै और भी डर गया था ईस्से के ये क्या हो रहा है | उस समय एैसा लग रहा था कि मानो कोई बाल्टी
में बार बार कुद रहा हो
उस दिन के बाद ये सब रोज मेरे साथ एैसा होने लगा | एक बाद दोस्तो रोज रात को 2 बजे मेरा नींद खुल जाती था | जिसके बाद मै नही सोने सकता था | वजह तो आपको पता ही है |
कभी कभी मै अपनी माँ को जगा कर ये सब बताता था पर वो ये कह कर टाल देती थी कि ये छिपकली का आवाज बहुत बार मै डर के उठ जाता था | रात को गंदे गंदे सपने आलगॉ,लगा ते थे |
एक दिन मै चिख कर उठ गया | हुवा ये था की मै कोई समान लाने रात के 9:30 बजे गया हुआ था | पर आने टाइम मै काफी डर गया था | क्युु्की गली एक दम सन्नाटा था ईस लिए मै साईड में रुक कर ईंतेजार कर रहा था के कोई पार होगा तो मै उसके पीछे पीछे चल जाउँगा तभी एक बुढिया गली से जाने लगी तो मै भी उसके पीछे पीछे चलने लगा वो बुढिया मुझे उल्टा दौड़ा देती है | मुझे एैसा लगा था के वह बुढिया मुझे पकड़ ली हो | मुझे उस टाईम जो लगा उसे मै शब्दो मे नही बता सकता मेरी चीख की वजह से सभी लोग उठ गए थे |
मेरे साथ वहाँ बहुत सी घटना हुई थी
जैसे कटा हुआ हाथ देखना रात काे पट्टी यानी पायल का आवाज आना डेली 2 बजे नींद खुलना रात को नींद नही आना पानी का छलकना ये सब मेरे साथ उस घर में हुआ था
अब वो सभी कवार्टर तोडं दिया गया है कंपनी की तरफ से
एक बात तो मै बोल सकता हुँ के वो जो भी था या थी कभी हमें नुकशान नहीं पहुँचाई थी वहा हम लोग बहुत अच्छे से रहे दोस्तो 7-8 साल वहाँ बहुत खुशहाली था दोस्तो बहुत मजा आया वहाँ पे
अब मै अपने नए घर में हुँ | यहाँ मुझे मेरी माँ और मेरे घर के लोगो से पता चला के उन्हें
भी ये सब लगता था उस घर में पर वो बताते नही थे पर मै आज भी उस कवार्टर में बीताए हुए पल को याद करता हुँ
वो जो भी थे हमें कभी नुकशान नहीं पहुँचाए
The End