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सफलता अंतिम लक्ष्य नही है
आजकल एक नई ही परेशानी है हमारे जीवन में की हमे हर हाल में सफल बनाना है। सफलता को हमने अपने जीवन का अंतिम लक्ष्य बना लिया है। जबकि हम समझ ही नही पा रहे की सफलता वास्तव में है क्या?

सफल होने के लिए हम कुछ भी करने को तैयार हैं, चाहे वो सामाजिक दृष्टि से अनुचित ही क्यों न हो। जबकि सत्य ये है कि सफलता अंतिम मंजिल नहीं बल्कि, जीवन का एक पड़ाव मात्र है।

बहुत से लोग सफलता को भौतिक संपदा, उच्च सामाजिक स्थिति या किसी एक लक्ष्य की प्राप्ति से जोड़ते हैं। सफलता को केवल बाहरी उपलब्धियों से नही मापा जाना चाहिए।

अन्य लोगों से अपनी तुलना करना बंद कीजिए। सफलता का उद्देश्य केवल धन इकट्ठा करना नहीं है। बल्कि सफलता का अर्थ आत्मसुधार और आत्मसंतोष की दिशा में बढ़ते रहना है।

हमे ये समझना होगा कि सफलता कोई मंजिल नहीं है, बल्कि जीवन का एक चरण है। जैसे जैसे हम जीवन में आगे बढ़ते हैं, परिस्थितियों और हमारे आस पास के वातावरण के अनुसार सफलता के मायने बदलते रहते है।

अगर आप बिना किसी को नुकसान पहुंचाए अपने दिन प्रतिदिन के कर्तव्यों को पूरा कर पाते हो, अगर आपकी वजह से किसी के चेहरे पर मुस्कान आती है, तो यह भी एक प्रकार की सफलता ही है।

हर दिन के लिए एक छोटा सा लक्ष्य बनाइए और उससे पूरा करने के लिए जी जान से लग जाइए। अपने प्रतिदिन के कायों का मूल्यांकन कीजिए और आज को अपने कल से बेहतर बनने की कोशिश करते रहिए।

याद रखें, सफलता का मतलब शिखर तक पहुंचना नहीं है, बल्कि सफलता का अर्थ मानसिक, शारीरिक, आर्थिक और सामाजिक उन्नति की दिशा में एक निरंतर प्रयास करना है।

© Vineet