ये कैसा रिश्ता है
उस दिन कक्षा में पढ़ने का मन नहीं था,
मन हजारों सवाल करते हैं मैं पेन को काग़ज़ पे बेवजह अपना नाम लिख रही और मिटा रही थी इसी सोच में घंटी की आवाज आई, बस अब हम बाहर आ गए
अपनी फेवरेट चाॅकलेट को खाते खाते
पापा ने कहा जल्द से गाड़ी में बैठो एक सरप्राइज़ तुम्हारे लिए.....
बस हम चाकलेट खाते बैठे गये और साथ में हमारा प्यारा सा मोती...
मन हजारों सवाल करते हैं मैं पेन को काग़ज़ पे बेवजह अपना नाम लिख रही और मिटा रही थी इसी सोच में घंटी की आवाज आई, बस अब हम बाहर आ गए
अपनी फेवरेट चाॅकलेट को खाते खाते
पापा ने कहा जल्द से गाड़ी में बैठो एक सरप्राइज़ तुम्हारे लिए.....
बस हम चाकलेट खाते बैठे गये और साथ में हमारा प्यारा सा मोती...