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"हाथ मिलाने रुक जाना..."P1:letter 4 writer- Srushti Mahajan
मना कर दिया मैने उस बुक को पब्लिश करने के जिस मे हमारी वो अधुरी कहानी थी | "माना के हम यार नहीं" ये नाम था उसका मुझे इतना अच्छा नहीं लगा ओर पता है, मैने कितने दिन लगा कर वो कहानी लिखी थी? मगर फिर भी मेरा मन नहीं कर रहा उस कहानी को पब्लिश करने का | अक्सर ऐसा लगता ही की तुम्हारा कोई कुसुर नहीं था! तुम मुझे छोडना ही नहीं चाहती थी! तुम ओर मे जिंदगी भरका साथ नहीं सही मगर एक better ending तो deserve करते ही थे| इस लिये ये कहानी मैने publish ही नहीं की.. लगता है ये सही वक्त नहीं|
मुझे ऐसा लगता है जो अधुरी कहानी मुझे पुरी पता ही नहीं उसे मे कैसे लिख सकता हुं| खैर, हम कभी मिलेंगे या नहीं पता नहीं मुझे मगर अब मे कूछ तो सोच कर इस कहानी को एक बेटर ending दे दूंगा| आज भी तूमने दिया घाव है मेरे दिल पर, पर फिर भी वह घाव मजबुरी था ऐसा लगता है | आज भी हर बात मे इस डायरी के जरिये तुम्हे बताता हुं क्योकि आज भी दिल में ये उमिद है की तुम ऐसे कभी नहीं जाती| कोई तो वजाह होगी इस लिये हमने खरिदी इस डायरी के जरिये ही सही मैने अपने पहले प्यार को जिंदा रखा है|
याद है, हमारी दोस्ती का एक उसुल था हम हाथ मिलाये बगैर कभी नहीं जाते थे बस ये उसुल जिंदा रखना अगर मे टकरा जाऊ कही बस ' हाथ मिलाने रुक जाना ' मेरे जिंदगी का सफर मे तेह कर सकू इस खातिर अपने हाथ का एहसास दे जाना....हाथ मिलाने रुक जाना, ओवी.....
-Nitesh
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