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तकलीफें...🙂
तकलीफ़े , बहुत सी रही हैं जिंदगी में ।
कुछ को हँस कर काट लेते हैं औऱ कुछ को संघर्ष में । तुमको जाने देना भी बहुत तकलीफदेह था । मग़र तकलीफों को सहन करना पड़ता है । उस दिन भी यही किया था ।

काश ! तुम देख पाती , समझ पाती कि अपने ही हाथों से अपनी क़ीमती चीज़ को तोड़ देना कितना दुःखद होता है ।
ये ठीक उसी तरह था जैसे आसमान में इकलौती पतंग आपकी उड़ रही हो औऱ उसकी डोर अपने ही हाथों से तोड़ दें , हवा में बह जाने के लिए..।

उस दिन तुम्हारे सवाल का जवाब "हाँ" में देना था । तुमने मोहब्ब्त के सारे सबूत , सारी भावनाएँ चेहरे पर से मिटा दिया था । वो खोखली मुस्कान , जो चेहरे पर तैर रही थी , उसको पढ़ने भी नहीं दिया तुमने ।
ये बहुत मुश्किल था , मग़र ये करने का निर्णय बहुत दृढ़ था ।

तुम जा रही थी , औऱ मैं देख रहा था । कई दफ़ा रोकना चाहा , कई बार सोचा कि तुम्हारा नाम पुकार कर बुला लूँ वापस औऱ समेट लूँ तुम्हें अपनी बाहों की कैद में । मग़र मेरे लिए ये मुमकिन न था उस दिन । तुम्हें जाने देना ही मेरी मोहब्बत की जीत थी और ना मैं खुद हारना चाहता था औऱ ना ही तुमको हारने देना चाहता था ।

बेईमानी , कभी-कभी रिश्तों को बचाने के लिए बेईमानी करनी पड़ती है । आप हर किसी रिश्ते के लिए ईमानदार नहीं रह सकते , वफादार नहीं हो सकते । यूँ तो , बेईमानी , क़भी खून में थी ही नहीं । या तो फिर घरवालों से बेईमान हो जाते , या फिर तुमसे या फिर किसी औऱ से । मेरा बेईमान होना तय था , तो ये बेईमानी मैंने ख़ुद के साथ कर ली ।
इसमें किसी का नुकसान नहीं हुआ ।
थोड़ा दिल मेरा दुखा औऱ शायद बहुत ज्यादा दुखा ।

जानती हो , तुमको केंद्रित करके हजारों कहानियाँ लिखी हैं , मग़र किसी भी कहानी में अपना औऱ तुम्हारा मिलन न लिख सका । क्यूंकि अब तुम दूसरे की अमानत हो औऱ अब हक़ जताने का हक़ मैं खो चुका हूँ ।

रिश्ते , कितनी तेजी से करवट बदलते हैं , इसका अहसास मुझे तुम्हारे जाने के बाद हुआ है । तुम तो शायद उस जगह से बहुत दूर निकल गयी हो , मग़र अब भी वक़्त मेरे लिए वहीं पर ठहर गया है । जिंदगी में बहुत कुछ बदल गया है , अब वो जोश , पागलपन सब ख़तम हो चुका है । उस दौर की सभी चीजों को ख़तम कर दिया है , सिवाय तुम्हारे..!!

ये जवाब बेचैन करते है मुझको , कई बार ठीक से नींद नहीं आती , पूरी रात सिगरेट के धुएं के साथ रात बिताता हूँ ,कइयो दिन सो नहीं पाता । मन करता है दौड़ जाऊं तुम्हारे पास , बोल दूँ मन की सारी तकलीफें , सारी मजबूरियां , सारी पीड़ाएँ । मग़र नहीं , तुम्हें जाने देने का फ़ैसला मेरा था औऱ मुझसे मुलाकात का फ़ैसला अब तुम्हारा होगा ।

उस मुलाकात के इंतजार में , बस यही कह सकता हूँ ..

"सब कुछ सीखा हमने , न सीखी होशियारी
सच है दुनियांवालों , हम है अनाड़ी...!!

#अलविदा, ख्याल रखना🙂


© Rising_लेखक