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कविता और संगीत

कविताओं का संगीत से बड़ा पुराना रिश्ता है, जिस तरह संगीत सुनने वालों से संगीत का एक रिश्ता होता है वैसे ही कविताओं का गीतों से रिश्ता होता है l
कविताओं से ही गीत बनाये जाते हैं और गीत से संगीत बनता है, गीत लोग बड़े प्यार से सुनते हैं कई लोग तो गीतों के दीवाने होते हैं और कई लोग संगीत के, भले ही संगीत किसी भी भाषा में हो, भाषा समझ में आये या नहीं संगीत की धुन अच्छी होनी चाहिए लोग उसे पसन्द करते हैं लेकिन कविताओं से लोग दूर क्यों होते हैं कबिताओं क़ो भी गीतों की तरह क्यों नहीं सुनते ये समझना मुश्किल है l

हर भाषा के गानों का अर्थ सभी को समझ में आना चाहिए तभी पूरा देश एक दूसरे की भाषाओं क़ो संगीत के माध्यम से समझ पायेगा और कविताएं भी संगीतमय होती है कविताओं की धुन भी गीत की तरह ही समझनी चाहिए l

संगीत एक ऐसी लगन है जो सबको पसन्द होती है, सायद ही कोई मनुष्य या प्राणी ऐसा होगा जिसे संगीत पसन्द ना हो, संगीत किसी भी भाषा में हो सबको अच्छा लगता है, लेकिन कविताओं से लोग दूर क्यों भागते हैं कुछ देर जरूर सुनेंगे लेकिन कुछ देर बाद चैनल बदल देते हैं ऐसा क्यों करते हैं ये समझ नहीं आता है l

गीत से संगीत बना है ये सभी जानते हैं लेकिन कविताओं से गीत बनते हैं ये सायद गीतकार ही समझता है, गीतों की मान्यता तो बहुत है पर कविताओं की मान्यता ख़त्म सी हो रही है लेकिन सभी भाषाओं क़ो सुनने की जागरूकता कविताओं के माध्यम से जगाई जा सकती है इसके लिए हमारा प्रयास लगातार बना रहेगा और लोग कविताओं क़ो भी उतना ही सम्मान देंगे जितना गीत और संगीत क़ो दिया जाता है l

हमारे कवियों में भी वो काबुलियत है, अगर कोई गीतकार, संगीतकार या कोई फ़िल्म निर्माता किसी कवि क़ो गीत लिखने का अवसर प्रदान करे और उनके सामने गीत के situation रख दें तो हमारे कई कवि राज गीतों के ढेर लगा देंगे पर अवसर मिलने की देर है l

बस कविताओं के सम्मान में आज इतना ही, सभी कवि महोदयों से निवेदन है कि इस सुझाव क़ो अवश्य पढ़े और कमेंट में अपने सुझाव भी अवश्य लिखें l

मैं कमैंट्स का दिल से स्वागत करता हूँ कमैंट्स चाहे सराहनीय हो, विपरीत हो या सलाहपूर्ण हो सबकी अपनी अपनी विचारधारा हैं सबका सम्मान करना चाहिए l

- Madan Gankoti