स्कूल की ओ लडकी( उपन्यास )
भाग 1(दाखिला
जिंदगी के कई ऐसे पल होते हैं जो हम कभी नहीं भूलते ,चाहे ओ अपने कितने बड़े प्रतिद्वंद्वी क्यों न रहे हों ।
जब हम उस उम्र की दहलीज को पार करके आगे निकल जाते हैं तो वो हमारे मन में एक तस्वीर की तरह बस जाते हैं और जब उम्र के किसी पड़ाव में मिलते हैं तो इतने हर्ष के साथ मिलते हैं कि मानो कितने बड़े मित्र रह चुके हैं, तब उस समय की लड़ाइया भी हमें मीठे आनंद का अनुभव कराती हैं क्योंकि हम जब बड़े होते हैं तो बड़े होने के साथ हमारे बुद्धि का विकास होता है हमें अच्छे बुरे की समझ हो जाती है तब वहीं बचपन की लड़ाइयां हमें एक छोटी सी नादानी लगती है और तब हमारे बचपन के मित्र याद आते हैं उनके साथ बीता हर पल चाहे अच्छा चाहे बुरा।
किन्तु स्कूल के दिनों में लड़कों की सबसे बड़ी शत्रु जिनके साथ सदैव लड़कों का पढ़ाई के...
जिंदगी के कई ऐसे पल होते हैं जो हम कभी नहीं भूलते ,चाहे ओ अपने कितने बड़े प्रतिद्वंद्वी क्यों न रहे हों ।
जब हम उस उम्र की दहलीज को पार करके आगे निकल जाते हैं तो वो हमारे मन में एक तस्वीर की तरह बस जाते हैं और जब उम्र के किसी पड़ाव में मिलते हैं तो इतने हर्ष के साथ मिलते हैं कि मानो कितने बड़े मित्र रह चुके हैं, तब उस समय की लड़ाइया भी हमें मीठे आनंद का अनुभव कराती हैं क्योंकि हम जब बड़े होते हैं तो बड़े होने के साथ हमारे बुद्धि का विकास होता है हमें अच्छे बुरे की समझ हो जाती है तब वहीं बचपन की लड़ाइयां हमें एक छोटी सी नादानी लगती है और तब हमारे बचपन के मित्र याद आते हैं उनके साथ बीता हर पल चाहे अच्छा चाहे बुरा।
किन्तु स्कूल के दिनों में लड़कों की सबसे बड़ी शत्रु जिनके साथ सदैव लड़कों का पढ़ाई के...