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(HORROR STORY)फिर वहां कौन था...?
इक सच्ची घटना पर आधारित

चेतन अपने कॉलेज के दोस्तों(शिव, शाहरुख, फ़िजा, गुरू, नवाब, किरण) के साथ एक चाय की दुकान पर बैठा था, सभी दोस्त यों ही हंसी मज़ाक कर रहे थे।

वो जिस चाय की दुकान पर बैठे थे उसके थोड़ी दूरी पर ही पुराना कब्रिस्तान था, तो शाहरुख और नवाब कहने लगे कि यहां पर बुरी आत्मायें रहती है और रात में अक्सर लोगों के साथ यहां बुरी घटनाएं घटित हुई है।

शिव भूत प्रेत में विश्वास नहीं करता था तो बोला कि ऐसा कुछ नहीं होता, हमारा तो इधर से आने जाने का रोज का काम है और कई बार तो मैं रात को अकेला भी गुजरा हूं, मैंने तो कभी ऐसा महसूस नहीं किया और न ही कोई भूत प्रेत दिखा....
वो कुछ बोलता इससे पहले ही गुरू बोल पड़ा कि देखा तो कभी मैंने भी नहीं पर मेरे दादा कहते थे कि जैसे अच्छी शक्तियां होती है जैसे देवी - देवता वैसे ही बुरी और नकारात्मक ऊर्जा भी होती है जिन्हें हम भूत प्रेत बोलते हैं और मेरे दादाजी तो बोलते हैं कि उनके दादाजी को भूत दिखाई देते थे और वो उनसे बात भी करते थे।

इस बात पर शिव हंसने लगा और बोला कि यार तुम्हारी दादा जी के दादा जी तो बड़े महान रहे होंगे और भूतों तो उनके पक्के साथी रहे होंगे।

फिजा अपनी चाय खत्म करते हुए बोली कि मज़ाक नहीं शिव ऐसा होता है मेरे अब्बा भी इस कब्रिस्तान के बारे में में कई घटनाएं बताते हैं और मुझे सावधान भी करते हैं कि उधर से अकेले मत निकला करो।

शिव फिर हंसने लगा और बोला कि मैं तो तब ही यक़ीन करूंगा जब खुद से अनुभव करूंगा कि भूत वगैरा भी होते हैं.... मैं आँखों देखी पर विश्वास करता हूं, कानों सुनी पर नहीं।

चेतन जो अब तक सबकी बातेँ सुन कर मन ही मन मुस्काते हुए कहने लगा कि तुम सब शांत हो जाओ और शिव को भूत देखना है न... मैं दिखाऊंगा...
चेतन ऐसे ही वार्ता को रोचक बनाने के लिए झूठ की कहानी सुनाने लगता है और बताता है कि
मैंने ही नहीं अपितु हमारे पूरे गाँव ने अनुभव कर रखा है अमावस की रातों में गांव के बाहर श्मशान की चारदीवारी में खराब पड़े हैण्डपम्प की रहस्यमयी आवाज को और वहां पर अगली सुबह हैण्डपम्प के आसपास पानी से मिट्टी गिली मिलती थी, जबकि ये हैण्डपम्प बहुत समय से खराब पड़ा था।
उसके बारें में हमारे बूढे बुजुर्ग कहीं कहानियां सुनाते हैं,वहां पर अमावस की रात में आत्मायें पानी पीने आती है और जो कोई भी उन्हें देखता है, उसके साथ में बहुत बुरा होता है इसलिए अमावस की रात को कोई भी उधर नहीं जाता। हमारे गांव के कई लोगों के साथ ऐसी अनहोनी घटनाएं घटित हुई है वहां पर इस वजह से कोई भी अमावस की रात को उधर नहीं जाता।

चेतन कहता है कि आपको यकीन न हो तो आप खुद चल कर अनुभव कर सकते हैं कि अमावस की रात में वहां अक्सर होता क्या है वो हैण्डपम्प की रहस्यमयी आवाज और पानी का मिलना।

शिव कहता है कि फिर तो जरूर ही चेतन के गांव चलना चाहिए और देखना चाहिए कि क्या वाकई में ऐसा होता है, उसी बात पर सभी ने सहमति जताई।

थोड़े दिनों बाद ही चेतन के गांव में कोई कार्यक्रम था तो उसने अपने सभी दोस्तों को भी आमंत्रित किया
और उसके कार्यक्रम में सभी दोस्त शामिल भी हुए

और कार्यक्रम के अगले दिन ही अमावस्या थी तो शिव कहने लगा कि श्मशान के हैण्डपम्प के बारे में भी जानना है कि आखिर वहां होता क्या है तो इस पर चेतन ने कहा कि ठीक है.....
चेतन को तो पता था कि ऐसा कुछ नहीं है पर उसने अपने गांव के दोस्त अशोक के साथ मिल कर योजना बनाई की कल रात में वो श्मशान जाकर हैण्डपम्प में आवाज करें और एक बाल्टी पानी वहां आसपास डाल कर गिला कर दे, जिससे लगे कि किसी ने सचमुच हैण्डपम्प चलाया है,तो इस पर अशोक ने सहमति जता दी। चेतन ने कहा कि ये बात हमारे बीच ही रहनी चाहिए
अशोक ने कहा - ठीक है...

कार्यक्रम के अगले दिन यानी अमावस की रात को खाना खा कर चेतन और उसके सभी दोस्त छत पर बिछौने लगा लिया और गप्पे मारने लगे....
बातें करते करते कब 12 बज गया पता ही नहीं चला और जैसे ही 12 बजे उधर रात के सन्नाटों को चीरती हैण्डपम्प के चलने की आवाज आने लगी, चेतन के सभी दोस्त हैरान थे और चुपचाप एक दूसरे को देखने लगे... शिव बोलता है कि हमें वहां चल कर देखना चाहिए कि क्या माजरा है?
अब चेतन को तो पता था कि अशोक है, तो उसने गाँववालों की चेतावनी याद दिलाते हुए कहा कि नहीं, नहीं.... वहाँ अभी जाना खतरा है, हम सभी सुबह चल कर देख लेंगे न।
किरण ने और बाकी दोस्तों ने भी कहा कि ये खतरनाक हो सकता है हम सुबह जाके देखेंगे।
तब तक वो आवाज भी आना बंद हो गई थी, उसके बाद सभी सो गए।

सुबह जल्दी उठकर सभी श्मशान की तरफ गए और जैसे ही चारदीवारी के अंदर गए तो देखा कि वहां सच में गिला हो रखा था।
शिव ने हैण्डपम्प चला कर देखा तो वो सच में खराब पड़ा था, अब उसकी बोलती बंद थी.... उसके पास कोई सवाल नहीं थे, वो बस बोलने लगा कि चलो यहां से जल्दी वापस.... शायद उसे भी डर का एहसास हुआ और सभी को भी.....

चेतन मन ही मन मुस्कुरा रहा था कि सभी को अच्छा बेवकूफ़ बनाया और उनको यकीन भी हो गया, फिर वो वापस घर आ गए....
इसके बाद खाना खा कर सभी वापस अपने शहर आ गए।

चेतन शाम को छत पर बैठा था तभी अशोक बाइक लेकर आ रहा था तो चेतन ने उसका धन्यवाद करने के लिए बुला लिया और बोला कि यार तुमने बहुत ही बढ़िया काम किया रात को श्मशान जाकर हैण्डपम्प चलाने की आवाज करना और वहां पर पानी गिराने का.....
इस पर अशोक बोला - मैंने?.... नहीं यार
मैं तो कल दोपहर में ही बुआ जी को लेकर उनके गांव छोड़ने चला गया था अभी वही से आ रहा हूं, यकीन न हो तो बुआ जी से बात कर लो....
अशोक ये कहते हुए बुआ जी को कॉल लगा देता है और लाउडस्पीकर ऑन कर देता है
बुआ जी से हैलो करते ही पूछने लगी
हाँ बेटा.... ठीक से घर पहुच गया था न

ऐसा सुनते ही अब चौंकने की बारी चेतन की थी.... अशोक भी रात को श्मशान में नहीं था तो फिर वहां हैण्डपम्प किसने चलाया, जबकि अशोक ने तो किसी और और बताया भी नहीं....थोड़ी ही देर में चेतन के मन में कई सवाल घर कर गए थे, पर सबसे बड़ा सवाल ये था कि........

अशोक भी बुआ जी के था तो, फिर वहां कौन था......?

© Mchet043