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वर्मा साहब की जींदगी का सफर




जिंदगी का सफर कुछ ऐसा चल रहा है
अकेले है मगर तनहाई साथ चलती जा रही है,

निकले थे अकेले थे एक-एक करके लो जुड़ते जा रहे है
काफिले से हुजुम बना जा रहा है
जिंदगी का सफर कुछ यु गुजरता जा रहा है
कभी हादसे होते जिदंगी मे , अब जिदंगी हादसा बनती जा रही है,

जिंदगी का सफर कुछ ऐसा चल रहा है
अकेले है मगर तनहाई साथ चलती जा रही है,

जिदंगी के सफर मे हर मोड पर लोग बिछडते जा रहे हे
हुजूम से अकेले हो गए हम अब अकेले सफर पर जा रहे है
कोई मिला जिसके साथ जिंदगी का सफर हंसीन था
मगर अब उसके बिना सफर पर अकेले जा रहे हे,

जिंदगी का सफर कुछ ऐसा चल रहा है
अकेले है मगर तनहाई साथ चलती जा रही है,

आखिर जिदंगी ने भी एक दिन पुछ लीया ,वर्मा साहब........
जिदंगी मे जिदंगी के बिना जिदंगी का सफर कैसा गुजर रहा है
हमने जिदंगी को आखिर कह दिया
बिना जिंदगी के बस सांसो से जिये जा रहे है
कौन आता है जिंदगी मे किसी के साथ ,कौन जाता है जिदंगी मे किसी के साथ
यह सफर तो बस अकेले आते है अकेले जाते है
हमारे साथ भला क्या नया होना था इस सफर मे
हम भी जिदंगी के सफर अकेले आये है अब अकेले सफर मे जा रहे है

जिंदगी का सफर कुछ ऐसा चल रहा है
अकेले है मगर तनहाई साथ चलती जा रही है,
© Verma Sahab