दृष्टिकोण
बचपन में नानी की सुनी कहानियों में से सुनी एक कहानी आज किसी सोशल मीडिया की ऐप पर उसी शिक्षा के साथ थोड़े भिन्न अंदाज़ में दोबारा सामने आई।
सोचा चलो आज रात को बेटे को ये ही सुनाती हूं ।
"एक समय की बात है. रेगिस्तान के किनारे जंगल के पास एक ऊँटो का व्यापारी था। उसके पास काफी संख्या में ऊँट थे। हर शाम वह ऊँटो को पास के जंगल में घास चरने के भेज देता था।सभी ऊँट समझदार थे मगर उनमें से एक ऊँट का बच्चा बहुत शैतान था। उस की हरकतें पूरे ग्रुप के लिए चिंता का विषय था। वह अक्सर ग्रुप से दूर चला जाता था और इस कारण पीछे रह जाता था। बाकी ऊँट हरदम उसे समझाते थे कि वह नहीं सुनता था व्यापारी को छोटे ऊँट से बहुत प्यार था ।उसने उसके गले में घंटी बांध रखी थी। जब भी वह सिर हिलाता था तो उसकी घण्टी बजती थी जिससे उसकी चाल एवं स्थिति का पता चल जाता था। एक बार उस जगह से एक शेर गुजरा जहां ऊँट चर रह रहे थे। उसे ऊंट की घंटियों से उनके होने का पता चल गया था। लेकिन वह हमला नहीं कर सका क्योंकि ग्रुप में वे बलशाली थे। इस कारण वह मौके की तलाश में वहां छिपकर खड़ा हो गया। ग्रुप के एक बड़े ऊँट को खतरे का एहसास हो गया। उसने ग्रुप को गांव में वापसी की सलाह दी । ऊँटो ने एक मंडली बना जंगल से बाहर की ओर प्रस्थान करना आरंभ किया। शेर ने शिकार की आस में उनका पीछा करना शुरू कर दिया। बड़े ऊँट ने छोटे ऊंट को सावधान किया कि वह सबके साथ साथ ही रहे। मगर छोटे ऊँट ने ध्यान नहीं दिया । छोटा ऊँट अपनी मस्ती में अन्य ऊँटों से पीछे रह गया। जब शेर ने देखा तो वह उस पर झपटा। छोटा ऊँट अपनी जान बचाने के लिए इधर-उधर भागा, पर वह स्वयं को उस शेर से नहीं बचा पाया। उसका अंत बुरा हुआ क्योंकि उसने अपने बड़ों की आज्ञा का पालन नहीं किया।"
"कैसी लगी कहानी?" मैंने जानना चाहा कि क्या उसे समझ आया जो मैं उसे समझाना चाह रही थी।। वह बोला
"ये बड़े ऊँट तो बड़े ही लापरवाह थे। इतने सब मिलकर भी एक छोटे ऊँट का ख्याल नहीं रख पाए। इस से अच्छा तो वो उसे साथ ही न ले जाते "
दृष्टिकोण तो उसका भी सही था। जरुरी तो नहीं जो आप समझाना चाहें वो सामने वाले को वैसा ही समझ आए।
सोचा चलो आज रात को बेटे को ये ही सुनाती हूं ।
"एक समय की बात है. रेगिस्तान के किनारे जंगल के पास एक ऊँटो का व्यापारी था। उसके पास काफी संख्या में ऊँट थे। हर शाम वह ऊँटो को पास के जंगल में घास चरने के भेज देता था।सभी ऊँट समझदार थे मगर उनमें से एक ऊँट का बच्चा बहुत शैतान था। उस की हरकतें पूरे ग्रुप के लिए चिंता का विषय था। वह अक्सर ग्रुप से दूर चला जाता था और इस कारण पीछे रह जाता था। बाकी ऊँट हरदम उसे समझाते थे कि वह नहीं सुनता था व्यापारी को छोटे ऊँट से बहुत प्यार था ।उसने उसके गले में घंटी बांध रखी थी। जब भी वह सिर हिलाता था तो उसकी घण्टी बजती थी जिससे उसकी चाल एवं स्थिति का पता चल जाता था। एक बार उस जगह से एक शेर गुजरा जहां ऊँट चर रह रहे थे। उसे ऊंट की घंटियों से उनके होने का पता चल गया था। लेकिन वह हमला नहीं कर सका क्योंकि ग्रुप में वे बलशाली थे। इस कारण वह मौके की तलाश में वहां छिपकर खड़ा हो गया। ग्रुप के एक बड़े ऊँट को खतरे का एहसास हो गया। उसने ग्रुप को गांव में वापसी की सलाह दी । ऊँटो ने एक मंडली बना जंगल से बाहर की ओर प्रस्थान करना आरंभ किया। शेर ने शिकार की आस में उनका पीछा करना शुरू कर दिया। बड़े ऊँट ने छोटे ऊंट को सावधान किया कि वह सबके साथ साथ ही रहे। मगर छोटे ऊँट ने ध्यान नहीं दिया । छोटा ऊँट अपनी मस्ती में अन्य ऊँटों से पीछे रह गया। जब शेर ने देखा तो वह उस पर झपटा। छोटा ऊँट अपनी जान बचाने के लिए इधर-उधर भागा, पर वह स्वयं को उस शेर से नहीं बचा पाया। उसका अंत बुरा हुआ क्योंकि उसने अपने बड़ों की आज्ञा का पालन नहीं किया।"
"कैसी लगी कहानी?" मैंने जानना चाहा कि क्या उसे समझ आया जो मैं उसे समझाना चाह रही थी।। वह बोला
"ये बड़े ऊँट तो बड़े ही लापरवाह थे। इतने सब मिलकर भी एक छोटे ऊँट का ख्याल नहीं रख पाए। इस से अच्छा तो वो उसे साथ ही न ले जाते "
दृष्टिकोण तो उसका भी सही था। जरुरी तो नहीं जो आप समझाना चाहें वो सामने वाले को वैसा ही समझ आए।
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