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सौदा,,,,,
सावन पूरा चला गया भादो आने वाला है
समय कितनी जल्दी गुजर जाता है पता ही नहीं लगता है हम हर बार कल के इंतजार में आज को भूल जाते हैं आज क्या मौसम है इसकी खबर कम है हमें ओर कल क्या होने वाला है कोनसा त्योहार है कोनसा वार है बस यही सब सोचते सोचते पूरा सावन गुजर गया,, आज एक रखीवाला राखी बेचने आया तब कही जा कर याद आया ओह रक्षाबंधन भी आ गई मतलब ये महिना भी यूहीं गुजर गया,,
राखी बेचने वाला मेरे घर के पास बैठ गया बहुत रंगबिरंगे रंगो वाली राखियां थी उसके पास देखते ही रह गई में तो,, बहुत सारी लेडिजे आकर राखी खरीदने लगी,, मोलभाव भी बिल्कुल सटीक था।
में बस देखे जा रही थी कि राखी का भी कोई मोल होता है क्या ?वो तो अनमोल होती हैं वो जो राखी बेचने वाला भी तो किसी का भाई ही है एक भाई राखी बेच रहा है दूसरी बहन राखी खरीद रही थी
सौदा तो बहन भाई दोनों कर रहे थे,,, मैने पूछा भैया राखी बेच कर जो पैसा मिलेगा उसका क्या करोगे
उसने कहा बहन मेरी बहन के लिए साडी खरीदूंगा ओर थोड़े पैसे घर पर खर्चा हो जाएगा। मुझे एकदम से यही ख्याल आया ये इतनी दूर अपनी बहन ओर अपने घर के लिए सौदा करने आया हैं राखी का ,,उसकी मज़बूरी उसकी आंखो में साफ दिख रही थी। ओर वो बहने जो राखी खरीद रही थी क्या वो भी मजबूर थी कुछ समझ नहीं आया,,,,,,,,,, किसी बड़ी दुकान में जा कर वो मुंह मांगी कीमत दे कर आती है ओर इस लड़के से जो राखी बेच कर अपना त्योहार मनाएगा उससे मोलभाव कर रही थी,,,, ये कहा तक उचित है पता नहीं पर वो लड़का उसे जो मिला खुशी से लेकर जा रहा है अपनी बहन से राखी बंधवाने,,,,,,,,

© #mohini