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तन्हाई सनम शहनाई बन जाए जहां पर
वो उत्तरी ध्रुव थी और मैं दक्षिणी ध्रुव! एक दूसरे से 180 डिग्री अलग! वो एक छोर पर पोलारिस की साक्षी बनती तो दूसरे छोर पर हम सिग्मा आक्टेंटिस की!!

उन्हें दर्शनशास्त्र पसंद था और हमें मनोविज्ञान।
कभी लाओत्से की बाते करती तो कभी बुद्ध की चर्चा करती। हम उन्हे फ्रायड की थ्योरी समझाते। गीता पर हमारी राय एक हुई।

फरवरी आते ही वो बसंत की बाते करती और हम बजट की खबरे पढ़ते। बजट से आगे बढ़कर जैसे ही इनफ्लेशन की तरफ बढ़ते हमारी खबर कचौड़ी और चटनी के लिए प्लेट बन चुकी होती थी। कहती हमारे पास ऐसी बाते की तो आपकी भी चटनी बना देंगे।

वो भावुक...