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स्वाभिमानी बनों, अभिमानी नहीं।
आज के युवाओं को न जाने कहां से प्रेरणा मिल रही है, इन्हे अभिमान और स्वाभिमान में अंतर समझ ही नही आ रहा है।

माना, अभिमान और स्वाभिमान दोनों का उच्चारण लगभग एक समान हैं, और उनके अर्थ भी लगभग समानार्थी जैसे प्रतीत होते हैं। इसके बावजूद ये दोनों शब्द न केवल एक दूसरे से भिन्न हैं बल्कि इनका अर्थ एकदम विपरीत है।

दूसरों को नीचा दिखाना अभिमान है, जबकि खुद को ऊंचा उठाना स्वाभिमान कहलाता है। स्वाभिमान शब्द आत्मगौरव और आत्मसम्मान के लिए प्रयुक्त होता है।

स्वाभिमान ऐसा शब्द है जो हमें अपने कर्तव्यों के प्रति आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करता है। स्वाभिमान हमारे अपने विश्वास, अपनी छमताओं को जाग्रत करता है। हमें जीवन मूल्यों के प्रति, अपने देश के प्रति, अपनी संस्कृति, अपने समाज और अपने कुल के प्रति स्वाभिमानी बनने की प्रेरणा देता है।

इसके विपरीत अभिमान हमें अहं से ग्रस्त करता है। अभिमान मिथ्या ज्ञान, घमंड और अपने को बड़ा ताकतवर समझकर झूठा व दंभी बनाता है। अभिमान अज्ञान के अंधेरे में ढकेलता है। अभिमान स्वयं का मानवता का, समाज का और राष्ट्र का शत्रु है।

इसलिए स्वाभिमानी बनों, अभिमानी नहीं।।

© Vineet