ग़ज़ल।
कुछ नज़्म हमारे है
कुछ शब्द तुम्हारे है
जो दूर तलक जाए
वो बात तुम्हारी है
जो शामे सहर जलती
वो आग...
कुछ शब्द तुम्हारे है
जो दूर तलक जाए
वो बात तुम्हारी है
जो शामे सहर जलती
वो आग...