लालसा ( कहानी )
शाम ढल चुकी थी और हितेश का दुकान बंद करके आने का वक्त करीब था। आज गायत्री बहुत खुश थी।बड़ी बेसब्री से बेटे के घर लौटने का इंतजार कर रही थी । उसे बड़ी खुश खबरी जो बतानी थी । बहू जोशना तीसरी बार गर्भवती हो गयी यह खबर क्या छोटी है । हकीकत तो यह थी वो इसे बड़ी खबर इसलिए मान रही थी कि वो पोते की दादी बनने वाली है । पिछले समय की तरह नही इस बार तो वो पोते की दादी ही बनेगी ऐसा उसे पूण॔ विशवास था । वैसे भी इस बार वो बहू की बिलकुल न सुनेगी । इस बार वो उसकी बिलकुल न चलने देंगी । माना कि अब ऐसा कानून है कि गर्भ मे पल रहे बच्चे के लिंग का पता लगाना और बताना डाक्टर के लिये अपराध है लेकिन पहली बार भी बेटे के दोस्त ने अल्ट्रासाउंड से देखकर बिना रिपोटें दिये बता दिया कि लड़की है । गायत्री का बस चलता तो वो लड़की को जन्म न देने देती लेकिन बहू जोशना नही मानी कि पहला बच्चा है लड़का हो या लड़की इससे कोई खास फर्क नहीं पड़ता । बेटा भी बहू की भाषा बोलने लगा और उनकी जिद के आगे सास को झुकना पड़ा बाद मे जोशना ने लड़की को जन्म दिया । हितेश और जोशना ने लड़की का नाम पपीहा रखा । सास क्यो बच्ची का नाम रखती । पोती की दादी बनने और पोते की दादी बनने मे...