...

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सुनहरे दिन

*स्कूल के दिनों में पहली बार टीचर से हाथ पर छड़ी पड़ने के बाद मैं अपनी पैंट पर हाथ पोंछता था और फिर दूसरा हाथ आगे कर लेता था....!*
मैं साफ-सफाई को लेकर बहुत खास था।

मेरे सारे टीचर खड़े होकर क्लास लेते थे... वजह जानते हो? इज्जत.... वो मेरी बहुत इज्जत करते थे... और कुछ नहीं😍

मेरे स्कूल के दिनों में, मेरे शिक्षक अक्सर मुझसे मेरे पिता को लाने के लिए अनुरोध करते थे क्योंकि वे मुझे कुछ भी बताने से डरते थे।

मैंने जो लिखा था उसे पढ़ने का मेरे शिक्षकों को बहुत शौक था, मेरी हैंडराइटिंग बहुत पसंद थी उन्हे... मुझसे एक ही उत्तर दस दस बार लिखने का आग्रह करते थे ।

कई बार शिक्षकों ने मुझसे पूछे बिना ही अपनी कीमती चाक मुझे कैच करने को दी थी, वो बात अलग है की मुझसे छूट कर मुझे ही लग जाती थी।😊

कई बार मेरे शिक्षकों ने मुझे पढ़ाते समय 'जेड' श्रेणी की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए कक्षा के बाहर खड़ा कर दिया।

मुझे कितनी बार बेंच पर खड़े होने के लिए कहकर मुझे सम्मानित/उन्नत किया गया है, ताकिअन्य सभी मुझे देख सकें ....

धूप और ताजी हवा का आनंद लेने के लिए मुझे कितनी बार कक्षा से छुट्टी दी गई है, जब कक्षा के अंदर अधिकांश लोग पसीना बहा रहे थे/घुट रहे थे ....

जैसा कि मैं सब कुछ जानता था, शिक्षक मेरे ज्ञान की सराहना करते थे और मुझे कई बार बता चुके हैं.....*तुम स्कूल क्यों आते हो।*
तुम्हें इसकी जरूरत नहीं है💪🏽

हम्म्म्म .....
वो सुनहरे दिन थे..
साभार FB