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जिंदगी का सफ़र
चलो आज हम कहीँ घूमने चलते हैं। आसमां ने शाम की सुहानी चादर ओढ़ ली है, अब हम सफर शुरु करते हैं।वो वाला रास्ता देखो कितना प्यारा है न उसी से चलते हैं। वाह कितने सुंदर फूल, नदी वाह! लाजवाब!
वो देखो एक लड़की आँखें बंद करके नदी की किनारे बैठी है।
बहन!... कौन हो तुम? और यहाँ ऐसे शांत क्यों बैठी हो? मुझे बताओ अपनी कहानी बहन!
लड़की गंभीरता भरे स्वर में कहती है
... फ़िर कभी सुन लेना तुम्हारा सफर लंबा है और मेरी कहानी भी बहुत लंबी है।
नहीं! नहीं! मेरा सफ़र लंबा नही है मै तो सिर्फ़ दुनियाँ घूमने निकली हूँ कृपया मुझे बताओ अपनी कहानी इतना कहकर मैं नदी किनारे उसके पास बैठ गयी।
मेरे बिना पूछे ही वो सब बताने लगी।
कि... मैं बहुत उलझी हुई लड़की हूँ मुझे आज की दुनियाँ के बारे में कुछ नहीं पता है मैं बहुत ही अलग हूँ। सब पर भरोसा करने वाली, सब को अपने जैसा समझने वाली, जिससे प्यार हो उसके लिए अपनी सारी खुशियाँ कुर्बां करने वाली, जिससे दुश्मनी हो उसे माफ़ कर देने वाली, सबके लिए ही अपने सपने बनाने वाली, जिसे चालाकी नही आती, जो हमेशा यही सोचती है की ये मुझे नाराज न हो, जिसकी सबसे बड़ी कमजोरी हो अकेलापन वैसी लड़की हूँ मैं।
और हाँ मेरी सबसे बड़ी ताकत यह है की मैं भगवान पर बहुत भरोसा करती हूँ मैं कहीं इश्क़ लिखती हूँ तो उसका मतलब बस खुदा ही होता है।
बस इसी ताकत की वजह से मैं यहाँ हूँ मैं अभी भगवान से बातें कर रही थी उसी ने मुझे यहाँ बुलाया था।
फ़िर मैंने पूछा कि मुझे भी बताओ गॉड ने तुम्हें क्या समझाया जिससे तुम इतनी शांत और संतुष्ट हो गयी हो।
फ़िर उसने नदी के जल को पिया और ठंडी ठंडी हवा मे मुस्कुराती हुई बोली...
आज हर इंसान बस प्यार का भूखा है, बस प्यार का। कोई भी जीव प्रेम की खातिर किसी भी हद तक जा सकता है
फिर वो प्रेम खुदा का हो, दोस्त का हो, परिवार का ,चाहे जानवर का। मैं भी प्यार की भूखी थी। मैं भगवान से प्यार करने आयी थी पर उसने मुझे ठुकरा दिया , वो बोला तुझे मैंने बहुत संघर्ष से बनाया था पर तू मेरी चीज से प्यार न कर सका तो तू मुझसे क्या ख़ाक करेगा। मैंने हर इंसान को बनाने में बराबर संघर्ष किया फ़िर भी तुम लोगों को दूसरी चीज़े ज्यादा पसंद आतीहै । मेरे बच्चे इंसान पहले ख़ुद हँसना सीखता है फिर दुसरों को सिखाता है, पहले वह खुद चलता है फिर दूसरो को चलना सिखाता है, पहले वह खुद जीता है फिर वह दुसरों को जीना सिखाता है बस उसी तरह पहले खुद से प्यार करो फिर मेरे पास आना आज से एक हफ़्ते का समय है तुम अपने आप को बदल लो। यदि तुम्हारे अंदर प्रेम पूर्ण हो जायेगा तब तुम्हें उसकी ज़रुरत नही होगी। तुम्हें कभी ऐसा नहीं लगेगा की मैं अकेली हूँ ।
मैं "तुमसे " मेरा " तुम " मांगता हूँ क्या तुम मुझे दे सकते हो ?

" कभी खुद से भी नज़र मिला लिया कर ऐ मेरी नज़र!
फ़िर सारा जहाँ तरस जायेगा तुझसे मिलाने को इक नज़र! "