अंधे का बेटा अंधा
द्रौपदी के चीर हरण के अनेक कारणों में से एक कारण द्रौपदी द्वारा दुर्योधन का मजाक उड़ाए जाने को बताया गया है।
महाभारत की कहानी पर आधारित अनगिनत टेलीविज़न सीरियल और फ़िल्में अनगिनत भाषाओँ में बनाई गई हैं और इन सारी कहानियों में द्रौपदी द्वारा दुर्योधन के मजाक उड़ाए जाने को दिखाया गया है।
कहानियों में ये दिखाया जाता है कि जब युद्धिष्ठिर राजसूय यज्ञ करते हैं तो अपने महल में अनगिनत राजाओं को आमंत्रित करते हैं ।
उनके आमंत्रण पर दुर्योधन भी मय द्वारा निर्मित पांडवों के महल को देखने पहुँचता है । मय द्वारा निर्मित पांडवों का वो महल बहुत हीं खुबसूरत था । उसमे बहुमूल्य रत्नों और शीशे का खुबसूरत प्रयोग किया गया था ।
वहाँ पे पर दरवाजों कहीं कहीं इस तरह का बनाया गया था कि दूर से तो खुला प्रतीत होता था , परन्तु वास्तव में वो बंद होता था। कहीं कहीं दरवाजा बंद प्रतीत होता था , परन्तु वो वास्तव में वहां पर दरवाजा होता हीं नहीं था ।
इसी प्रकार फर्श पर कहीं कहीं आभूषणों की इतनी खुबसूरत नक्काशी की गई थी कि जहाँ पानी नहीं था , वहाँ पानी प्रतीत होता था । तो कहीं पर पानी के ऊपर इतनी अच्छी कलाकृति और रंगों का प्रयोग किया गया था कि वहां पानी नहीं अपितु फर्श की प्रतीति होती थी।
आगे की घटनाक्रम ये दिखाया जाता है कि दुर्योधन दृष्टि भ्रम के कारण महल के दीवारों से जा टकराता है तो पानी से भरे हुए तालाब को फर्श समझकर उसमें जा गिरता है और इसी समय द्रौपदी उसका मजाक उड़ाते उसे अंधे का बेटा अँधा कहती है ।
द्रौपदी के चीर हरण के दौरान दुर्योधन और कर्ण के द्वारा द्रौपदी के लिए अपमानजनक शब्दों के प्रयोग के पीछे द्रौपदी द्वारा दुर्योधन का मजाक उड़ाये जाने को बताया जाता है। ऐसा तर्क दिया दिया जाता है कि दुर्योधन ने द्रौपदी से अपने अपमान का बदला लेने के लिए किया था।
लेकिन यदि हम महाभारत ग्रन्थ का अध्ययन करते हैं तो कुछ और हीं सत्य दृष्टिगोचित होता दिखाई पड़ता है। आश्चर्य की बात तो ये है कि महाभारत पर तथाकथित रूप से फिल्म बनाने वाले और टेलीविज़न सीरियल बनाने वाले ये दावा तक कर डालते हैं कि कहानी को प्रस्तुत करने में काफी सारी मेहनत की गई गई है ?
लेकिन क्या वास्तव में उनका दावा वास्तव में महाभारत ग्रन्थ में लिखी गई तथ्यों पर आधारित है , या कि महाभारत ग्रन्थ में लिखी गई तथ्यों के विपरीत है, आईये देखते है । महाभारत ग्रन्थ के अनुसार जो घटनाएँ इस परिप्रेक्ष्य में वर्णित ही गई वो कुछ इस प्रकार हैं ।
इस घटना का जिक्र महाभारत ग्रन्थ के सभा पर्व: के सप्तचत्वारिंशोऽध्यायः (अर्थात् 47 अध्याय के श्लोक संख्या 1 से श्लोक संख्या 15 में दुर्योधन के दृष्टि...
महाभारत की कहानी पर आधारित अनगिनत टेलीविज़न सीरियल और फ़िल्में अनगिनत भाषाओँ में बनाई गई हैं और इन सारी कहानियों में द्रौपदी द्वारा दुर्योधन के मजाक उड़ाए जाने को दिखाया गया है।
कहानियों में ये दिखाया जाता है कि जब युद्धिष्ठिर राजसूय यज्ञ करते हैं तो अपने महल में अनगिनत राजाओं को आमंत्रित करते हैं ।
उनके आमंत्रण पर दुर्योधन भी मय द्वारा निर्मित पांडवों के महल को देखने पहुँचता है । मय द्वारा निर्मित पांडवों का वो महल बहुत हीं खुबसूरत था । उसमे बहुमूल्य रत्नों और शीशे का खुबसूरत प्रयोग किया गया था ।
वहाँ पे पर दरवाजों कहीं कहीं इस तरह का बनाया गया था कि दूर से तो खुला प्रतीत होता था , परन्तु वास्तव में वो बंद होता था। कहीं कहीं दरवाजा बंद प्रतीत होता था , परन्तु वो वास्तव में वहां पर दरवाजा होता हीं नहीं था ।
इसी प्रकार फर्श पर कहीं कहीं आभूषणों की इतनी खुबसूरत नक्काशी की गई थी कि जहाँ पानी नहीं था , वहाँ पानी प्रतीत होता था । तो कहीं पर पानी के ऊपर इतनी अच्छी कलाकृति और रंगों का प्रयोग किया गया था कि वहां पानी नहीं अपितु फर्श की प्रतीति होती थी।
आगे की घटनाक्रम ये दिखाया जाता है कि दुर्योधन दृष्टि भ्रम के कारण महल के दीवारों से जा टकराता है तो पानी से भरे हुए तालाब को फर्श समझकर उसमें जा गिरता है और इसी समय द्रौपदी उसका मजाक उड़ाते उसे अंधे का बेटा अँधा कहती है ।
द्रौपदी के चीर हरण के दौरान दुर्योधन और कर्ण के द्वारा द्रौपदी के लिए अपमानजनक शब्दों के प्रयोग के पीछे द्रौपदी द्वारा दुर्योधन का मजाक उड़ाये जाने को बताया जाता है। ऐसा तर्क दिया दिया जाता है कि दुर्योधन ने द्रौपदी से अपने अपमान का बदला लेने के लिए किया था।
लेकिन यदि हम महाभारत ग्रन्थ का अध्ययन करते हैं तो कुछ और हीं सत्य दृष्टिगोचित होता दिखाई पड़ता है। आश्चर्य की बात तो ये है कि महाभारत पर तथाकथित रूप से फिल्म बनाने वाले और टेलीविज़न सीरियल बनाने वाले ये दावा तक कर डालते हैं कि कहानी को प्रस्तुत करने में काफी सारी मेहनत की गई गई है ?
लेकिन क्या वास्तव में उनका दावा वास्तव में महाभारत ग्रन्थ में लिखी गई तथ्यों पर आधारित है , या कि महाभारत ग्रन्थ में लिखी गई तथ्यों के विपरीत है, आईये देखते है । महाभारत ग्रन्थ के अनुसार जो घटनाएँ इस परिप्रेक्ष्य में वर्णित ही गई वो कुछ इस प्रकार हैं ।
इस घटना का जिक्र महाभारत ग्रन्थ के सभा पर्व: के सप्तचत्वारिंशोऽध्यायः (अर्थात् 47 अध्याय के श्लोक संख्या 1 से श्लोक संख्या 15 में दुर्योधन के दृष्टि...