बिखरी हुई यादें
एक समय था जब किसी कारण से मेरा मिलना आप हुआ।मेरी अपनी कुछ मजबूरियां थी और एक दायरा भी था,जिसे मैं बखूबी समझता था,आप से मेरी सिर्फ औपचारिक बातचीत थी जिसे मैं ज्यादा तवज्जो नही देता था,क्यों कि मुझे पता था बस कुछ दिन का साथ है हमारा फिर तुम कहाँ हम कहाँ।लेकिन आप धीरे धीरे बातचीत के ज़रिये आप हमें खुद को समझाने लगे और हम आपको ।अब वक्त बीतता गया और मुझे भी आपके प्रति एक लगाव महसूस होने लगा।साथ मे एक अलगाव का डर भी रहता कि कल के किसी कारण से आप मुझसे दूर होगे तो मेरा क्या होगा क्यों कि मैं आपको समझते समझते काफी डूब रहा था आप मे ये मेरी आत्मा जानती है क्या मायने होता था मुझे आपके साथ होने में,यही डर हमेशा मुझे रहता था आप अगर किसी कारण मुझसे दूर हुए तो क्या हाल होना है मेरा।इसलिए मैं आप से हमेशा डरते हुए काफी दूर रहना चाहता था,क्यों कि अभी मैं आपके बारे में सही तरह से नही जानता था कि आपको भी मुझ से कोई लगाव है या या नही या आप मेरा इस्तेमाल अपने टाइमपास के लिए करते है।इस लिए मैं आप से दूर ही रहता था,लेकिन आप जब काफी दिनों के बाद मिलते थे,तो आप भी काफी बेचैन रहते थे,आप ये नही चाहते थे कि मैं काफी देर तक दूर रहूँ आपसे,ऐसा एहसास करा दिया आपने मुझे झूठा या सच्चा था ये आप से बेहतर किसे पता।आप ने मेरे दूर होने का कारण जानना चाहा तो मैंने भी आपको सच बता दिया कि पता नही क्यों मुझे आप से एक लगाव हो गया है और मैं आप से दूर रहना नही चाहता मुझे दुख होता है जब मैं आपसे दूर होता हूँ ।लेकिन किसी न किसी दिन आप मुझे छोड़ दोगे इसलिए बहुत डर लगता है मुझे मैं कैसे रह सकूँगा तुम से दूर रह कर इसलिए अभी वक़्त है मैं संभाल लूंगा खुद को आप भी मेरे ज्यादा करीब मत आओ।
आप ने कहा मैं सब संभाल लुंगी तुम चिंता मत करो एक भरोसा दिया और रोई भी की कभी मैं तुम्हे छोड़ने की बात न करूँ न आप ऐसा करें, आप ने यक़ीन दिला दिया कि सब ठीक है।सब कुछ अच्छा चल रहा था गहराई में उतरते चले गए हम तुम आप को कुछ पारिवारिक परेशानी थी आप काफी परेशान थी आप उस परेशानी से निकलना चाहती थी आप ने बताया था जो मैं भी उसी का शिकार था इसलिए आप के दिक्कत को करीब से महसूस करता था,मैं भी चाहता था कि आप सुखी रहो खुश रहो लेकिन खुश रहने के लिए आप को थोड़ा हिम्मत रखना था लड़ना था उस परेशानी से निकलना तो चाहती थी परेशानी से एक खुशहाल ज़िन्दगी जीने के लिए।जो किसी ने दबा रखी थी,उस से निकलने के लिए चाहिए थी हिम्मत,धीरे धीरे वो हिम्मत पैदा करि हमने और आप तैयार भी हुए लेकिन जो आपका गलत इस्तेमाल कर रहा था उसे नही पसन्द थी आपकी आज़ादी,उसे तो बस चाहिए था एक गुलाम आप चाहते थे इस से आज़ाद होना मैन भी कोशिश की एक सार्थक परिणाम निकले,कुछ सही होता उस से पहले ही आपने अपना व्यवहार ही बदल लिया मुझे एक से बढ़कर एक शॉक देती गयी,और ये समझने की कोशिश करने लगी कि मैं ही पागल था जो आपकी इतनी फिक्र करता था,मैं ही खुदगर्ज़ और लालची हूँ जो आपके बिना नही रह सकता आप धीरे धीरे मेरे आत्मसम्मान पर चोट करने लगी।और आपने फिर से उस के गुलामी का पट्टा फिर से अपने गले मे डाल लिया जिस से आपको सम्मान की उम्मीद थी।
अब अगर फिर भी मैं आपको धोखा देकर आप का इस्तेमाल अपनि खुशी के लिए करता तो मुझे मेरी आत्मा कभी माफ नही करती और आप की बची हुई खुशियां भी दर्द बन जाती इसलिए मैंने खुद से वादा किया कि अब कभी भी आप से मिलने खुद की मर्जी से अपने लिए नही आऊँगा ।आप से दूर हो गया पर आप की यादें कभी दिल से गयी नहीं।हर दिन आपकी यादें आती है ऐसा कोई दिन है कि मेरी ज़िंदगी मे आप न हो।लेकिन अब कभी मिलूंगा तो कभी आपको ये एहसास नही होगा मेरे दिल पर आपका क्या असर था,तब भी यही कोशिश थी आप खुश रहो मेरे न रहने पर भी आप की ज़िंदगी आबाद हो।
© snubeen
आप ने कहा मैं सब संभाल लुंगी तुम चिंता मत करो एक भरोसा दिया और रोई भी की कभी मैं तुम्हे छोड़ने की बात न करूँ न आप ऐसा करें, आप ने यक़ीन दिला दिया कि सब ठीक है।सब कुछ अच्छा चल रहा था गहराई में उतरते चले गए हम तुम आप को कुछ पारिवारिक परेशानी थी आप काफी परेशान थी आप उस परेशानी से निकलना चाहती थी आप ने बताया था जो मैं भी उसी का शिकार था इसलिए आप के दिक्कत को करीब से महसूस करता था,मैं भी चाहता था कि आप सुखी रहो खुश रहो लेकिन खुश रहने के लिए आप को थोड़ा हिम्मत रखना था लड़ना था उस परेशानी से निकलना तो चाहती थी परेशानी से एक खुशहाल ज़िन्दगी जीने के लिए।जो किसी ने दबा रखी थी,उस से निकलने के लिए चाहिए थी हिम्मत,धीरे धीरे वो हिम्मत पैदा करि हमने और आप तैयार भी हुए लेकिन जो आपका गलत इस्तेमाल कर रहा था उसे नही पसन्द थी आपकी आज़ादी,उसे तो बस चाहिए था एक गुलाम आप चाहते थे इस से आज़ाद होना मैन भी कोशिश की एक सार्थक परिणाम निकले,कुछ सही होता उस से पहले ही आपने अपना व्यवहार ही बदल लिया मुझे एक से बढ़कर एक शॉक देती गयी,और ये समझने की कोशिश करने लगी कि मैं ही पागल था जो आपकी इतनी फिक्र करता था,मैं ही खुदगर्ज़ और लालची हूँ जो आपके बिना नही रह सकता आप धीरे धीरे मेरे आत्मसम्मान पर चोट करने लगी।और आपने फिर से उस के गुलामी का पट्टा फिर से अपने गले मे डाल लिया जिस से आपको सम्मान की उम्मीद थी।
अब अगर फिर भी मैं आपको धोखा देकर आप का इस्तेमाल अपनि खुशी के लिए करता तो मुझे मेरी आत्मा कभी माफ नही करती और आप की बची हुई खुशियां भी दर्द बन जाती इसलिए मैंने खुद से वादा किया कि अब कभी भी आप से मिलने खुद की मर्जी से अपने लिए नही आऊँगा ।आप से दूर हो गया पर आप की यादें कभी दिल से गयी नहीं।हर दिन आपकी यादें आती है ऐसा कोई दिन है कि मेरी ज़िंदगी मे आप न हो।लेकिन अब कभी मिलूंगा तो कभी आपको ये एहसास नही होगा मेरे दिल पर आपका क्या असर था,तब भी यही कोशिश थी आप खुश रहो मेरे न रहने पर भी आप की ज़िंदगी आबाद हो।
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