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सच्ची भक्ति क्या होती है?
ईश्वर की भक्ति में अँधा नही होना चाहिये क्योंकि एकलव्य ने भी अपना भाग्य स्वयं बनाया था,,,, परमात्मा केवल मार्ग दिखाता है ,,,, चलना हमें खुद है।
यदि ईश्वर के मार्गदर्शन रूपी आशीर्वाद को हमने ग्रहण कर लिया तो हमारा भाग्य हमारे ही हाथों लिखा होगा।

आपने सुना होगा लोग कहते है अंतरात्मा की आवाज सुनो ,,,ऐसा इसलिए क्योंकि,,,
वास्तव में आपकी अंतरात्मा की आवाज ही परमात्मा की आवाज होती है।
ईश्वर आपको आपके ह्रदय में आयी उसी आवाज से सावधान करता है ,,,, अगर मानव ने उसे समझ लिया तो उसे आगे बढ़ने से कोई नही रोक सकता ,और यदि नही समझा तो उसका पतन निश्चित है।

© कवि श्याम प्रताप सिंह