"पुस्तकालय की मोहब्बत"
ये कहानी आज से लगभग ८० साल पुराने समय की है,जब आजकल की तरह मोबाईल और सोशल मीडिया का जमाना न था उस वक्त सभी लोग समय व्यतीत करने के लिए पुस्तकों को पढ़ना बहुत पसंद करतें थें उन्हीं में एक थी शाहीन उसे पुस्तकें पढ़ना बहुत पसंद था। उन दिनों संभ्रांत घरों की स्त्रियां ही कालेज का मुंह देख पातीं थी वरना तो आम घरों की स्त्रियां स्कूल की पढ़ाई ही बामुश्किल कर पातीं थी।
शाहीन एक संभ्रांत घर की बेटी थी बाकायदा खुद उसके वालिद उसे कालेज छोड़ने कार से जाया करते थे।
शाहीन कालेज की पुस्तकों के अतिरिक्त वहां से कुछ नोवेल्स भी लिया करती थी। चूंकि लाईब्रेरी बहुत बड़ी थी और वहां हर तरह की पुस्तक सभी को बहुत आसानी से मिल जाया करतीं थीं तो सभी लड़कियां अपनी पसंद की पुस्तकें वहां से लिया करती थी।
शाहीन को लेखक जुल्फीकार की कहानियां बेहद आकर्षित करती थी, उनकी कहानियों में एक अजीब सी कसक भरी होती थी।वो प्रेमी प्रेमिका का अनोखा प्रेम और एक दूसरे के लिए मिलने की तड़प उसे महसूस होता मानों कोई शख्स उससे इतनी मोहब्बत करता हो।
एक दिन शाहीन लाईब्रेरी में बैठी जुल्फीकार को पढ़ रहीं थीं कि उसकी सहेली मैरी आ गई और पूछा अरे घर नहीं चलना है क्या तो शाहीन मुस्कुराते हुए बोली क्या करूं मैरी जब भी जुल्फीकार को पढ़तीं हूं तो लगता है जो इन्सान इतना अच्छा लिख सकता है वो खुद किस कदर मोहब्बत से लबरेज़ होगा। मैरी हंसते हुए बोली अरे तुम्हारे ये जुल्फीकार साहब अब इस दुनियां में नहीं है।उनका इंतकाल हुए २०साल हो गये ।क्या!! सुनकर शाहीन को बेहद धक्का लगा और वो मायुस होकर घर आ गई।
रात को उसे बहुत देर तक नींद नहीं आई और वो देर तलक जुल्फीकार के बारे में ही सोचतीं रही।
सुबह जब वो उठी तो उसका सर भारी था। अम्मी ने उसके सर पर हाथ रखा तो पाया कि उसे बुखार है इसलिए वो कालेज नहीं जा सकीं लगभग एक सप्ताह तक वो कालेज न जा सकीं। एक दिन रात को उसने ख्वाब में एक युवक को देखा जो बहुत हसीन तो न थें उम्र भी मध्यम था यही कोई ४०के आस पास वो धीरे-धीरे शाहीन के करीब आएं और पूछा क्या हुआ आप कालेज नहीं आई इसलिए मैं आपसे मिलने चला आया, शाहीन ने उनसे पूछा आप कौन हैं तो वो मुस्कुराए और बोले आपने पहचाना नहीं मैं जुल्फीकार...... सुनकर शाहीन खौफजदा हों गई इससे पहले कि वो कुछ बोल पाती वो ग़ायब हो गए और शाहीन का ख्वाब टूट गया। वो पसीने से तरबतर थी। आखिर कौन थे ये जुल्फीकार? क्या थी इनकी कहानी जानने के लिए अवश्य पढ़ें इस कहानी का अगला भाग।
लेखन समय - 10:00- बजे
दिनांक 13.4.24- सोमवार
© Deepa🌿💙
शाहीन एक संभ्रांत घर की बेटी थी बाकायदा खुद उसके वालिद उसे कालेज छोड़ने कार से जाया करते थे।
शाहीन कालेज की पुस्तकों के अतिरिक्त वहां से कुछ नोवेल्स भी लिया करती थी। चूंकि लाईब्रेरी बहुत बड़ी थी और वहां हर तरह की पुस्तक सभी को बहुत आसानी से मिल जाया करतीं थीं तो सभी लड़कियां अपनी पसंद की पुस्तकें वहां से लिया करती थी।
शाहीन को लेखक जुल्फीकार की कहानियां बेहद आकर्षित करती थी, उनकी कहानियों में एक अजीब सी कसक भरी होती थी।वो प्रेमी प्रेमिका का अनोखा प्रेम और एक दूसरे के लिए मिलने की तड़प उसे महसूस होता मानों कोई शख्स उससे इतनी मोहब्बत करता हो।
एक दिन शाहीन लाईब्रेरी में बैठी जुल्फीकार को पढ़ रहीं थीं कि उसकी सहेली मैरी आ गई और पूछा अरे घर नहीं चलना है क्या तो शाहीन मुस्कुराते हुए बोली क्या करूं मैरी जब भी जुल्फीकार को पढ़तीं हूं तो लगता है जो इन्सान इतना अच्छा लिख सकता है वो खुद किस कदर मोहब्बत से लबरेज़ होगा। मैरी हंसते हुए बोली अरे तुम्हारे ये जुल्फीकार साहब अब इस दुनियां में नहीं है।उनका इंतकाल हुए २०साल हो गये ।क्या!! सुनकर शाहीन को बेहद धक्का लगा और वो मायुस होकर घर आ गई।
रात को उसे बहुत देर तक नींद नहीं आई और वो देर तलक जुल्फीकार के बारे में ही सोचतीं रही।
सुबह जब वो उठी तो उसका सर भारी था। अम्मी ने उसके सर पर हाथ रखा तो पाया कि उसे बुखार है इसलिए वो कालेज नहीं जा सकीं लगभग एक सप्ताह तक वो कालेज न जा सकीं। एक दिन रात को उसने ख्वाब में एक युवक को देखा जो बहुत हसीन तो न थें उम्र भी मध्यम था यही कोई ४०के आस पास वो धीरे-धीरे शाहीन के करीब आएं और पूछा क्या हुआ आप कालेज नहीं आई इसलिए मैं आपसे मिलने चला आया, शाहीन ने उनसे पूछा आप कौन हैं तो वो मुस्कुराए और बोले आपने पहचाना नहीं मैं जुल्फीकार...... सुनकर शाहीन खौफजदा हों गई इससे पहले कि वो कुछ बोल पाती वो ग़ायब हो गए और शाहीन का ख्वाब टूट गया। वो पसीने से तरबतर थी। आखिर कौन थे ये जुल्फीकार? क्या थी इनकी कहानी जानने के लिए अवश्य पढ़ें इस कहानी का अगला भाग।
लेखन समय - 10:00- बजे
दिनांक 13.4.24- सोमवार
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