बॉडी शेमिंग
[नोट : यह कहानी पूर्णतः काल्पनिक है । धन्यवाद ❣️🙏❤️]
आज सुरभि को फ़िर से वहीं शब्द दोबारा सुनने पड़ें । इसमें उस बेचारी की क्या गलती ? न ही कसूर भगवान का है और न ही वक्त का ! लगता है उसकी क़िस्मत में यही लिखा है । तानें , तानें और सिर्फ़ और सिर्फ़ तानें हीं तानें ! "अरे ! ये तो माचिस की तीली है ।" "नहीं , नहीं ! तीली नहीं , डंडी है डंडी ! हा हा हा !!" "तुम्हारे घर पर तुम्हें खाना नहीं मिलता क्या ?" "याद है ? हमारी साइंस टीचर ने क्या बताया था ?! कि इंसानों में 206 हड्डियां होती हैं , लेकिन तुम्हें देखकर तो लगता है कि मैम ने हमें गलत पढ़ाया ।" "सुरभि ! पंखे की हवा आ रही है । संभलकर ! कहीं उड़ न जाना ! हा हा हा !!" और यह सब याद करते ही उसकी आँखों से दो आँसू की बूंदों ने उसके गालों को छू लिया ।
सुबह का समय है । बाहर कॉलेज कैंपस से कुछ आवाज़ें आ रहीं हैं , जैसे कि किसी चीज़ की घोषणाएँ की जा रहीं हों । लेकिन यहाँ सुरभि के भीतर एक अलग - ही - सा शोर मचा हुआ है । वह इस समय कॉलेज के किसी ऐसे कोने में बैठी पिछली बातों को याद कर रही है , जहां से किसी की नज़र उस पर न पड़े । वह यादों की गहराई में जा ही रही थी कि तभी पीछे से किसी ने उसके कंधे पर अपना हाथ रखा । वह चौंक गई । उसने जल्दी से अपने आंसुओं की बहती धारा को पोछा और पीछे मुड़ी ।
उसने देखा कि वह कोई और नहीं , उसकी बेस्ट फ्रेंड रौशनी है । रौशनी और सुरभि स्कूल से लेकर कॉलेज तक साथ हीं हैं । दोनों एक - दूसरे से अपना हर सुख - दुःख बांटती आईं हैं । रौशनी एक बहुत ही ज़िंदादिली और हँसमुख लड़की है । रौशनी ने हैरान होकर कहा , "सुरभि ! तू यहाँ है ? और बाहर स्टेज पर तेरा नाम अनाउंस किया गया , तो तू आई क्यों नहीं ? मुझे ठीक नहीं लगा । तुझे पता भी है कि सब तेरे बारे में कैसी अजीब - अजीब बातें कर रहें हैं ?! कह रहें हैं कि तुझे पोएट्री कॉम्पिटिशन में फर्स्ट प्राइज़ मिल रहा है इसलिए तू स्टेज पर आने...
आज सुरभि को फ़िर से वहीं शब्द दोबारा सुनने पड़ें । इसमें उस बेचारी की क्या गलती ? न ही कसूर भगवान का है और न ही वक्त का ! लगता है उसकी क़िस्मत में यही लिखा है । तानें , तानें और सिर्फ़ और सिर्फ़ तानें हीं तानें ! "अरे ! ये तो माचिस की तीली है ।" "नहीं , नहीं ! तीली नहीं , डंडी है डंडी ! हा हा हा !!" "तुम्हारे घर पर तुम्हें खाना नहीं मिलता क्या ?" "याद है ? हमारी साइंस टीचर ने क्या बताया था ?! कि इंसानों में 206 हड्डियां होती हैं , लेकिन तुम्हें देखकर तो लगता है कि मैम ने हमें गलत पढ़ाया ।" "सुरभि ! पंखे की हवा आ रही है । संभलकर ! कहीं उड़ न जाना ! हा हा हा !!" और यह सब याद करते ही उसकी आँखों से दो आँसू की बूंदों ने उसके गालों को छू लिया ।
सुबह का समय है । बाहर कॉलेज कैंपस से कुछ आवाज़ें आ रहीं हैं , जैसे कि किसी चीज़ की घोषणाएँ की जा रहीं हों । लेकिन यहाँ सुरभि के भीतर एक अलग - ही - सा शोर मचा हुआ है । वह इस समय कॉलेज के किसी ऐसे कोने में बैठी पिछली बातों को याद कर रही है , जहां से किसी की नज़र उस पर न पड़े । वह यादों की गहराई में जा ही रही थी कि तभी पीछे से किसी ने उसके कंधे पर अपना हाथ रखा । वह चौंक गई । उसने जल्दी से अपने आंसुओं की बहती धारा को पोछा और पीछे मुड़ी ।
उसने देखा कि वह कोई और नहीं , उसकी बेस्ट फ्रेंड रौशनी है । रौशनी और सुरभि स्कूल से लेकर कॉलेज तक साथ हीं हैं । दोनों एक - दूसरे से अपना हर सुख - दुःख बांटती आईं हैं । रौशनी एक बहुत ही ज़िंदादिली और हँसमुख लड़की है । रौशनी ने हैरान होकर कहा , "सुरभि ! तू यहाँ है ? और बाहर स्टेज पर तेरा नाम अनाउंस किया गया , तो तू आई क्यों नहीं ? मुझे ठीक नहीं लगा । तुझे पता भी है कि सब तेरे बारे में कैसी अजीब - अजीब बातें कर रहें हैं ?! कह रहें हैं कि तुझे पोएट्री कॉम्पिटिशन में फर्स्ट प्राइज़ मिल रहा है इसलिए तू स्टेज पर आने...