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आखिर उसे किसने मारा?
जनवरी की कड़कड़ाती सर्दी में उस सप्ताह शहर में रोजाना ही बारिश रही थी। लोगों का सर्दी के मारें घरों से निकलना मुश्किल हो रहा था।
उस सर्द शाम को मायाराम जी जो कस्बे के खासा अमीर थे, वो अपने ऑफिस से घर आ रहे थे, तो उनके घर से महज़ 200 मीटर की दूरी पर लगी दुकान से कुछ सामान लेने रुके और वो दुकान से सामान लेकर जैसे ही अपनी कार की तरफ़ आगे बढ़े तभी अचानक से उनका ध्यान फुटपाथ पर लगे टीनशेड में गया , वहां एक गरीब बुज़ुर्ग कुछ फटे पुराने कपड़े लपेटे हुए एक छोटा सा कंबल ओढ़ कर सो रहा था।
उसे देख कर मायाराम जी ने सोचा कि इस हाड़ कंपा देने वाली सर्दी में ये बाबा कैसे बच पाएंगे?
वो जल्दी जल्दी कदम उठा के बाबा के पास पहुंच जाता है।
मायाराम जी - बाबा! ओ बाबा....
बाबा कंबल हटा कर मायाराम जी की तरफ़ देखते हुए,
बाबा -...