गुरू पूणिर्मा
गुरू पूणिर्मा
गुरु शब्द अपने आप मे पूरक है।इसका कोई पर्याय शब्द हो ही नही सकता। वैदिक काल मे गुरू का महत्व एवंम सम्मान समाज मे सर्वोपरि था। आज गुरू पूर्णिमा है, सम्पूर्ण रूप से खिला चाँद प्रतीक है गुरू का।
जिस तरह संम्पूर्ण चाँद अंधकार को दूर भगाता है ठीक वैसे ही गुरू हमें अज्ञानता रूपी अंधकार से ज्ञान रूपी प्रकाश का बोध...
गुरु शब्द अपने आप मे पूरक है।इसका कोई पर्याय शब्द हो ही नही सकता। वैदिक काल मे गुरू का महत्व एवंम सम्मान समाज मे सर्वोपरि था। आज गुरू पूर्णिमा है, सम्पूर्ण रूप से खिला चाँद प्रतीक है गुरू का।
जिस तरह संम्पूर्ण चाँद अंधकार को दूर भगाता है ठीक वैसे ही गुरू हमें अज्ञानता रूपी अंधकार से ज्ञान रूपी प्रकाश का बोध...