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पीरियड वाली स्कूल स्टूडेंट: भाग 3 (अंतिम भाग)
जागृति," तू सुन रही है ना श्वेता, मैं क्या कह रही हूँ ? "

श्वेता," यार जागृति, तू ज़ोर से बोल ना, तेरी आवाज़ बिलकुल नहीं आ रही है। "

इसी बीच फ़ोन कट गया। जागृति ने फिर से श्वेता को कॉल करने की कोशिश की लेकिन उसका नंबर नहीं लगा।

वैसे तो जागृति के और भी दोस्त थे लेकिन वह किसे फ़ोनकर ये सब बताए, उसे समझ नहीं आ रहा था ?

स्कूल की बस के आने का समय भी हो रहा था। आज वो स्कूल छोड़ भी नहीं सकती थी क्योंकि आज उसका मैथ्स का पेपर था।

वो अपने ख्यालों में खोई हुई थी। तभी स्कूल के बस के हॉर्न की आवाज आयी। वो अनमने ढंग से स्कूल बस की ओर निकल पड़ी।

जैसे ही वो बस में चढ़ी, सभी स्टूडेंटस उसे घूर घूरकर देखने लगे।

जागृति," ये सभी लोग मुझे घूर घूरकर देख रहे हैं। जरूर इन्हें भी मेरे कपड़ों में लगा खून दिख गया होगा ?

अब इन सभी को पता लग जाएगा कि मुझे खतरनाक बिमारी हो गई है और सभी मुझसे दूर रहना चाहेंगे, कोई मेरे पास नहीं आएगा। "

जैसा जागृति ने सोचा था, बस में बैठी सारी लड़कियां उसके साथ वैसा ही व्यवहार कर रही थी।

सीमा," अरे अलका, पूनम, मालती ! इस जागृति से दूर ही रहना सब लोग। देख रही हो ना... उसके कपड़ों में खून लगा है ? उसे बहुत खतरनाक बिमारी हो गयी है। उससे दूर रहना होगा हमें। "

अलका," हाँ सीमा, सही कह रही हो। हम नहीं बैठेंगे उसके साथ । कहीं हमें भी ये बिमारी हो...