...

7 views

चाहत
भाग 3



संगीता, उस दिन तो काज़ल की कहानी सुनकर वहां से चली आई !
ये तय करके के वो चिराग और काज़ल के बीच कभी नहीं आएगी...!

घर आकर उस पर अस्वस्थता छा गई
पूरा हफ्ता वो यही सोच रही थी कि
वो कैसे दोनों का सामना करें...

मगर, चिराग तो उसके दिलो दिमाग पर छा गया था!

"कहते है, स्त्री अपना पहला प्रेम नहीं भूलती "

संगीता भी चिराग को भुला नहीं पा रही थी,

चिराग के लिए आये प्रेम के भाव वो व्यक्त करें कैसे, तो उसने डायरी को अपना साथी बना लिया था !

"प्यार तो प्यार होता है, जरूरी तो नहीं, कि जिससे प्रेम किया हो... वो अगर अपना नहीं भी हो तो, उससे प्रेम नहीं रहता... "

संगीता, रोज की तरह "रंग भूमि नाट्य मंदिर" जाने के लिए तैयार हो रही थी, अपने मन मे आये कई भावो को अपने अंदर दबा कर !
उसने तय कर लिया था कि वो साथ काम तो करेंगी, पर चिराग से दुरी बना कर !

रोज ही उसकी मुलाक़ात चिराग, और काज़ल से होती, वो लोग रोज की तरह, रिर्सहल करते,

बड़ी ही दुविधा पूर्ण स्तिथि होती, चिराग अपनी दोनों नायिका से बात नहीं करता था...

वो लोग आपस मे सिर्फ काम ही बात करते..

प्यार इतना दुर्भाग्यपूर्ण होता है तो,
प्यार होता क्यों है...
तीनो के लिए प्यार की मंजिल पाना, बहुत कठिन था..!

दो प्रेमी प्यार तो कर रहे थे पर अपने प्रेम पर समाज, घरवालों के स्वीकृति की मोहर लगा ना चाह रहे थे....!

एक स्त्री प्रेम मे उस नायक...