कसक
भाग 1
ये कहानी तब की है,जब
गोविंदा, मीनाक्षी शेषादरी, और अनिल कपूर अभिनीत फ़िल्म "आवारगी "आई थी,
जिसका का एक गाना काफी मशहूर हो रहा था !
" बाली उम्र ने मेरा हाल वो किया "
इस फ़िल्म की कहानी तीन पात्रों के इर्द गिर्द घूमती है !
कुछ ऐसा ही इस कहानी के पात्रों के बीच हो रहा था....
मानसी जिसने, अभी अभी दसवीं की परीक्षा पास की थी, और रिजल्ट का इंतजार कर रही थी !
उसके ही उम्र के बराबर के उसी के बचपन के दोस्त, उन्होंने भी दसवीं की परीक्षा दे रखी थी...
रिजल्ट का इंतजार उन्हें भी था..!
मयंक और गुड्डू
मयंक पढ़ने मे काफी हुशार था, और गुड्डू जस्ट एवरेज स्टूडेंट,
मयंक को डॉक्टर बनना था...!
और मानसी को कामर्स मे दिलचस्पी थी..!
तीनो एक ही मोह्हले मे रहते थे !
ये तीनो साथ ही खेलते थे, और साथ ही बड़े हो रहे थे..!
ये दौर,वो दौर था, तब इज़्ज़त का बड़ा ख्याल रखा जाता था !
घर की लड़कियों पर खास नज़र रखी जाती थी, कि उम्र के इस नाजुक दौर मे वो कोई गलत कदम ना उठा ले..!
कई अच्छी अच्छी फ़िल्म उस दौर मे आ रही थी !
फिल्मो का असर तो सब पर था...!
बड़े सुन्दर सुन्दर गीत बन रहे थे...
ये तीनो भी उम्र के इस पड़ाव पर थे, प्यार होना तो लाज़मी था...!
मानसी मयंक को पसंद करती थी..!
और गुड्डू मानसी को...
हालांकि,
मयंक भी मानसी को पसंद करता था, पर उसने अब तक मानसी को जताया नहीं था !
पर, मानसी को मयंक, की आँखों मे खुद के लिए प्यार नज़र आता था..!
अब ये तीनो मे मसला ये था कि,
मयंक और गुड्डू बचपन के बहुत गहरे दोस्त थे..
मयंक से ये बात छिपी नहीं थी...
गुड्डू मानसी को पसंद करता था..!
मानसी सयुंक्त परिवार की लड़की थी,
उनके घर मे बेहद अनुशासन था, उन्हें लड़को से बात करनी की इज़ाज़त नहीं थी...!
इन तीनो मे भी बातचीत नहीं होती थी !
गुड्डू ने एक दिन मयंक से कहा कि,
वो बड़ा होकर, मानसी से शादी करेगा...!
बड़ा होकर मानसी से शादी, मयंक भी कर ना चाहता था...मानसी उसे भी बहुत पसंद थी..
ये दौर प्रेम पत्र के आदान प्रदान का था...
एक दिन एक छोटे बच्चे ने मानसी तक एक पत्र पहुंचाया...
मानसी ख़ुशी से झूम उठी, उसे लगा कि मयंक ने उसे पत्र भेजा है....!
बाद मे पढ़ लुंगी,
सोच कर, उसने उस पत्र को
किताबों के बीच...
ये कहानी तब की है,जब
गोविंदा, मीनाक्षी शेषादरी, और अनिल कपूर अभिनीत फ़िल्म "आवारगी "आई थी,
जिसका का एक गाना काफी मशहूर हो रहा था !
" बाली उम्र ने मेरा हाल वो किया "
इस फ़िल्म की कहानी तीन पात्रों के इर्द गिर्द घूमती है !
कुछ ऐसा ही इस कहानी के पात्रों के बीच हो रहा था....
मानसी जिसने, अभी अभी दसवीं की परीक्षा पास की थी, और रिजल्ट का इंतजार कर रही थी !
उसके ही उम्र के बराबर के उसी के बचपन के दोस्त, उन्होंने भी दसवीं की परीक्षा दे रखी थी...
रिजल्ट का इंतजार उन्हें भी था..!
मयंक और गुड्डू
मयंक पढ़ने मे काफी हुशार था, और गुड्डू जस्ट एवरेज स्टूडेंट,
मयंक को डॉक्टर बनना था...!
और मानसी को कामर्स मे दिलचस्पी थी..!
तीनो एक ही मोह्हले मे रहते थे !
ये तीनो साथ ही खेलते थे, और साथ ही बड़े हो रहे थे..!
ये दौर,वो दौर था, तब इज़्ज़त का बड़ा ख्याल रखा जाता था !
घर की लड़कियों पर खास नज़र रखी जाती थी, कि उम्र के इस नाजुक दौर मे वो कोई गलत कदम ना उठा ले..!
कई अच्छी अच्छी फ़िल्म उस दौर मे आ रही थी !
फिल्मो का असर तो सब पर था...!
बड़े सुन्दर सुन्दर गीत बन रहे थे...
ये तीनो भी उम्र के इस पड़ाव पर थे, प्यार होना तो लाज़मी था...!
मानसी मयंक को पसंद करती थी..!
और गुड्डू मानसी को...
हालांकि,
मयंक भी मानसी को पसंद करता था, पर उसने अब तक मानसी को जताया नहीं था !
पर, मानसी को मयंक, की आँखों मे खुद के लिए प्यार नज़र आता था..!
अब ये तीनो मे मसला ये था कि,
मयंक और गुड्डू बचपन के बहुत गहरे दोस्त थे..
मयंक से ये बात छिपी नहीं थी...
गुड्डू मानसी को पसंद करता था..!
मानसी सयुंक्त परिवार की लड़की थी,
उनके घर मे बेहद अनुशासन था, उन्हें लड़को से बात करनी की इज़ाज़त नहीं थी...!
इन तीनो मे भी बातचीत नहीं होती थी !
गुड्डू ने एक दिन मयंक से कहा कि,
वो बड़ा होकर, मानसी से शादी करेगा...!
बड़ा होकर मानसी से शादी, मयंक भी कर ना चाहता था...मानसी उसे भी बहुत पसंद थी..
ये दौर प्रेम पत्र के आदान प्रदान का था...
एक दिन एक छोटे बच्चे ने मानसी तक एक पत्र पहुंचाया...
मानसी ख़ुशी से झूम उठी, उसे लगा कि मयंक ने उसे पत्र भेजा है....!
बाद मे पढ़ लुंगी,
सोच कर, उसने उस पत्र को
किताबों के बीच...