नियति
आज का दिन किसी काले अध्याय से कम नहीं है।जब सारी दुनिया के ग़म बौने नजर आ रहे हैं।अपने ग़म के सामने। ऐसा सपने में भी नहीं सोचा था कि ये दिन भी देखना पड़ेगा।ये सब कहते -कहते राहुल की आंख भर आई।
मैं सब कुछ शांत होकर सुनता रहा।
सबसे अधिक इस बात की उहा-फोह मन में चल रही थी मेरे !कि कैसे कहूं? कैसे समझाऊं उसे सब भगवान की मर्जी है कुछ भी हमारे...
मैं सब कुछ शांत होकर सुनता रहा।
सबसे अधिक इस बात की उहा-फोह मन में चल रही थी मेरे !कि कैसे कहूं? कैसे समझाऊं उसे सब भगवान की मर्जी है कुछ भी हमारे...