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रिश्तों की समझ

अजीब रिवाज़ है इस दुनिया का घर मे बेटी जन्म ले तो हज़ारो ताने मारे जाते है और बेटा जन्म ले तो लड्डू बाँटे जाते है।
पर जब यही बच्चे बड़े हो जाते है तो माँ बाप के प्यार में अंतर आ जाता है।
जन्म से लेकर शादी तक लड़के को जितना प्यार किया जाता है न शादी के बाद वो बदल जाता है।
और जितने ताने लड़की ने सुने होते है वो भी बंद हो जाते है। या यूँ कहें कि लड़के और लड़की की जगह बदल जाती है।
बेटी की शादी के बाद वो ससुराल चली गई उसका पति उसकी हर बात मानता है उसे घुमाने ले जाता है, इस बात पर माँ खुश होती है पर शादी के बाद अगर लड़का अपनी पत्नि के साथ ऐसा करे तो जोरु का गुलाम बन गया है।
भाई की शादी के बाद अगर भाभी भाई को माँ के पास न बैठने दे तो भाभी तो अपने पति को अपनी सास से छीन रही है।
और जब खुद का पति अपनी माँ के पास बैठ जाये तो सास को ताना की वो तो मेरे पति को पल्लू से बाँध के रखना चाहती है।
खुद की माँ जब बहु को कुछ कहें या डाँट दे तो माँ ने तो घर को संभाल रखा है वरना भाभी ने तो घर बर्बाद कर देना था, और जब खुद की सास यही सब करे तो वो तानाशाही कर रही है जुल्म करती है।
अपनी माँ माँ है और पति की माँ दुश्मन।
तुम्हारा पति तुम्हारी सुने तो अच्छा पति और तुम्हारा भाई अपनी पत्नि की सुने तो जोरु का गुलाम।

जितनी देर में आप लोग ये सब पढ़ रहे है न उतनी देर में अपने देश में कम से कम सौ घरों में यही बात हो रही है।
कहीं कोई माँ अपनी बहू को ताने मार रही है तो कहीं कोई सास अपने दामाद की तारीफ कर रही है।-वैभव रश्मि वर्मा
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